रांची। धनबाद में सीबीआई ने 1.39 अरब के मानदेय घोटाला मामले में सिंफर के पूर्व निदेशक डॉ पीके सिंह और मुख्य वैजानिक एके सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। इस मामले में दो अन्य को अज्ञात अभियुक्त बनाया गया है। इन दोनों पर सीएसआइआर के नियमों का उल्लंघन कर मानदेय मद में राशि निकासी का आरोप है। पूर्व निदेशक पर 15,36,72,000 रुपये व एके सिंह पर 9,04,31,337 रुपये मानदेय लेने का आरोप है।
प्राथमिकी में कहा गया है कि संस्थान द्वारा कोयला उत्पादकों और बिजली कंपनियों के साथ 10 साल के कार्यकाल के लिए चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिन्हें आपसी सहमति पर पांच साल और बढ़ाया जा सकता था। इस समझौते में विशेष रूप से वार्षिक आधार पर नमूना लिए जाने वाले कोयले की गुणवत्ता का जिक्र किया गया था और कम अवधि के लिए विभिन्न परियोजनाओं में समझौते के किसी भी सब-डिवीजन को तय नहीं किया गया था। सीएसआईआर-सीआईएफएमआर द्वारा कई करारों को एक परियोजना में मिलाकर 304 कोयला-नमूना परियोजनाएं सृजित की गई थीं।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि पीके सिंह और एके सिंह ने एक साजिश रची, जिसके कारण 2016 और 2021 के बीच कोयला-नमूना परियोजनाओं के तहत सीआईएफएमआर के वैज्ञानिकों, तकनीकी अधिकारियों और प्रशासनिक कर्मचारियों को मानदेय, बौद्धिक शुल्क और परियोजना शुल्क के रूप में 1,39,79,97,871 रुपये का वितरित किए गए।