JoharLive Desk

नई दिल्ली। कालेधन के खिलाफ चल रहे अभियान में केंद्र सरकार बड़ी सफलता मिली है। सीबीआई ने लंबी जांच के बाद हांगकांग में 1038 करोड़ रुपये का कालाधन जमा कराने के मामले में 51 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इनमें 48 कंपनियां और तीन व्यक्ति शामिल हैं। सीबीआई अधिकारियों ने सोमवार को बताया, यह पैसा तीन सरकारी बैंकों के खातों से 2014 से 2015 के बीच भेजा गया।

इसमें बैंक अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है।
सीबीआई के मुताबिक इन लोगों के खिलाफ तीन जनवरी को एफआईआर दर्ज की गई। जिन 48 कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है उनमें से ज्यादातर के मालिक चेन्नई के रहने वाले हैं। वहीं, एफआईआर में मोहम्मद इब्रामसा जॉनी, जिंता मिधार और निजामुद्दीन को नामजद किया गया है। आरोप है कि इन लोगों ने बैंक ऑफ इंडिया, एसबीआई और पीएनबी के कुछ अधिकारियों से सांठगांठ कर 2014-15 के बीच 1038.34 करोड़ रुपये का कालाधन विदेश भेजा।

सीबीआई को सूचना मिली थी कि इन कंपनियों के नाम पर तीन सरकारी बैंकों की चार स्थानीय शाखाओं में 51 चालू खाते खोल गए। इनमें से 24 खातों से 488.39 करोड़ रुपये की राशि डालर में भेजी गई। यह रकम सामान के आयात के बदले एडवांस के तौर पर भेजी गई थी। जांच एजेंसी के मुताबिक आयातित सामान की कीमत और भेजी गई रकम में काफी अंतर था। वहीं, 27 खातों के जरिये भारतीय पर्यटकों की विदेश यात्रा के नाम पर 549.95 करोड़ रुपये भेजे गए।

सीबीआई के मुताबिक रकम भेजने का सारा आधार फर्जी था।
सीबीआई ने इन कंपनियों की ऑडिट जांच में पाया कि इनका कुल कारोबार लाखों रुपये में है, जबकि रकम करोड़ों में भेजी गई। यही नहीं, जब-जब रकम भेजी गई इस मामले में शामिल बैंक अधिकारियों सहित अन्य लोगों को घूस के तौर पर नकद कमीशन दिया गया। सीबीआई इस मामले में संदेह के घेरे में आए बैंक अधिकारियों की भी जांच कर रही है। सीबीआई ने हांगकांग से इस मामले की विस्तार रिपोर्ट देने की गुजारिश की है।

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