हजारीबाग: लाल फीता शाही का एक मामला हजारीबाग से सामने आया है. बता दें की लाल फीता शाही के चक्कर में केटर्र संजय राम कुछ इस प्रकार फंस गया है कि अब वह आत्महत्या करने का प्रयास तक कर गया. संजय राम ने वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग वनपाल कर वनरक्षक प्रशिक्षण विद्यालय में 97 दिनों तक प्रशिक्षण पा रहे 71 सिपाही को भोजन कराया. पर 1 साल बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया. आलम यह है कि 47 दिन का बिल विभाग ने रोक रखा है. साथ ही इसके ऐवज में 6 लाख रुपया नजराना देने की मांग की गई है. और कहा गया की अगर पैसा नहीं दिया जाएगा तो भुगतान भी नहीं किया जाएगा.

9 लाख 10 हजार 220 रुपया है बकाया

संजय राम ने जानकारी देते हुए बताया कि 97 दिनों तक तीन वक्त 71 सिपाहियों को भोजन कराया गया. जिसमें 50 दिन का बिल का भुगतान किया गया. 47 दिन का बिल लगभग 9 लाख 10 हजार 220 रुपया है जो बकाया है. जिसमें दूध से लेकर मीट मछली तक शामिल था. संजय कुमार ने आरोप लगते हुए कहा की क्षेत्रीय वन पदाधिकारी वनपाल सह वनरक्षी प्रशिक्षण विद्यालय अखिलेश कुमार चौधरी ने 6 लाख रुपया की मांग की है. संजय ने विभाग के पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पैसा नहीं देने पर भुगतान नहीं किया जाएगा. संजय राम ने श्रम आयुक्त के कार्यालय में आवेदन भी दिया है. प्रशिक्षण विद्यालय के डायरेक्टर को नोटिस भी जारी किया गया. पांच बार नोटिस पहुंचने के बाद भी उन्होंने जवाब नहीं दिया है.

क्षेत्रीय वन पदाधिकारी वनपाल सब वनरक्षी प्रशिक्षण विद्यालय ने किया आरोपों से इनकार 

आलम यह है कि संजय राम आत्महत्या करने की कोशिश भी कर रहा है. शुक्रवार को भी उसने कुछ गलत कदम उठाने की कोशिश किया तो उनके सगे संबंधी ने उन्हे वन विभाग कार्यालय ले आया. उन्होंने फिर से यही गंभीर आरोप लगाया है. संजय राम का कहना है कि महिला समिति से लोन लेकर काम किया गया. लेकिन इस तरह वह जाल में फंस गया कि अब एक दफ्तर से दूसरे का चक्कर काट रहा है. इस बात को लेकर जब अखिलेश कुमार चौधरी क्षेत्रीय वन पदाधिकारी वनपाल सब वनरक्षी प्रशिक्षण विद्यालय से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कोई कमीशन की मांग नहीं की गई है. जो भी भुगतान था वह कर दिया गया है. साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि भुगतान करने का कोई भी मामला अब नहीं बनता है इस कारण यह सारा आरोप गलत है.

लेबर कोर्ट में भी आया था यह मामला

वहीं कन्हरी स्थित वन विभाग के प्रशिक्षण विद्यालय के डायरेक्टर जयप्रकाश भगत से जब यह मामला पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला 2022-23 का है. उन्होंने 2023 जून में पदभार लिया है. इस कारण इस पर किसी पर तरह के टिप्पणी नहीं किया जा सकता है. उन्होंने यह भी जानकारी दिया कि लेबर कोर्ट से भी यह मामला आया था. मामला संज्ञान में है लेकिन अपने स्तर से कुछ नहीं किया जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि संजय राम ने जो आरोप लगाया है उसके पास किसी भी तरह का कागजात नहीं है जो यह साबित करें कि उसने प्रशिक्षण विद्यालय में कैटरिंग का काम किया है .लेकिन संजय राम का कहना है कि पूरे कागजात और बिल के साथ उन्होंने आवेदन दिया है. बहरहाल संजय राम लाल फिता शाही में कुछ इस प्रकार फंस गया है कि उसके पास अब कोई भी उपाय नहीं दिख रहा है. जहां प्रशिक्षण विद्यालय के डायरेक्टर अपना पल्ला झाड़ते हुए दिख रहे हैं. वहीं क्षेत्रीय वन पदाधिकारी वनपाल वनरक्षी प्रशिक्षण विद्यालय अखिलेश कुमार चौधरी ने सारे आरोप को गलत बताते हुए भुगतान नहीं करने का बात भी कह रहे हैं.

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