रांची : 31 मई को ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ मनाया गया. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को तंबाकू से होने वाले खतरों के बारे में जानकारी देना व जागरूक करना है. रिम्स में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम, रांची कैंसर केयर फाउंडेशन और एम्स देवघर के सहयोग से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. ट्रॉमा सेंटर सह सेंट्रल इमरजेंसी में आयोजित इस कार्यक्रम में डायरेक्टर डॉ राजकुमार ने कहा कि तम्बाकू से होने वाले 60% कैंसर को रोका जा सकता है. जिसके लिए अपने दिनचर्या में चार महत्वपूर्ण बदलाव लाने की आवश्यकता है. पहला नियमित व्यायाम, दूसरा अच्छा खानपान और तीसरा वज़न प्रबंधन और चौथा तम्बाकू के सेवन से बचना. उन्होंने कहा कि इन बदलावों से कैंसर से बचा जा सकता है.
चुंबक की तरह होती है बुराइयां
उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को तंबाकू, शराब जैसी बुराइयों की ओर आकर्षित करना इसलिए आसान है क्योंकि बुराइयां चुंबक की तरह होती है. इसकी तरफ जल्द आकर्षण हो जाता है वहीं अच्छी चीज़ों से विकर्षण होता है. बुरी चीज़ें जल्दी परिणाम देती हैं, वहीं अच्छी चीज़ों के परिणाम में समय लगता है. जब यह परिणाम आता है तो वह बहुत ही सुखद होता है. तम्बाकू कंपनियां अपनी आय बढ़ाने के लिए युवा पीढ़ी को इस ओर धकेल रही है. वहीं निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवा डॉ सी के शाही ने कहा कि बच्चे क्षणिक आनंद वाली चीज़ों में उलझ जाते हैं और कार्डियोवैस्कुलर व कैंसर जैसी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. उन्होंने कहा कि समाज को तंबाकू के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है.
खैनी कैंसर का मुख्य कारण
डीन डॉ विद्यापति ने कहा कि तम्बाकू मुंह के कैंसर का मुख्य कारण है. बिहार, झारखण्ड में लोग खैनी का सेवन बिना रोक टोक के करते हैं. उसमें सिगेरट के पैकेट की तरह कोई चेतावनी भी नहीं होती है. जब मुंह का कैंसर हो जाता है तब उन्हें खैनी जैसे तम्बाकू के दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी मिलती है. इसलिए न सिर्फ शहरी क्षेत्रों बल्कि गांव व देहातों में लोगों को तम्बाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों के विषय में जागरूक करें. सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि नयी पीढ़ी तम्बाकू कंपनियों के लिए आसान टारगेट है. इसलिए तम्बाकू सेवन से होने वाले दुष्प्रभाओं के विषय में जानकारी देना और नियमों का सही से कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है.
विज्ञापन पर लगे रोक
डेंटिस्ट डॉ नरेंद्र नाथ सिंह ने कहा कि सरोगेट विज्ञापन पर रोक लगनी चाहिए. अभिनेता, खिलाड़ी व अन्य जिन्हें प्रेरणास्रोत माना जाता है उन्हें इस तरह के उत्पादों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए और इनकी निंदा करनी चाहिए. इस दौरान मेडिकल और डेंटल के स्टूडेंट्स ने एक नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया. वहीं एमएस ऑफिस से ट्रामा सेंटर तक रैली निकाली गई.
ये रहे मौजूद
डेंटल कालेज के प्रिंसिपल डॉ जयप्रकाश एम बी, डॉ विद्या सागर, डॉ लाल मांझी, अन्य विभागों के विभागाध्यक्ष व फैकल्टी, रांची कैंसर केयर फाउंडेशन के प्रतिनिधि, मेडिकल और डेंटल के छात्र मौजूद थे.