Joharlive Desk
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों से समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) वसूले जाने के मामले में सुनवाई बुधवार तक स्थगित कर दी है और केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या दूरसंचार कंपनियां स्पेक्ट्रम बेच सकती हैं?
न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई के दौरान पूछा कि रिलायंस कम्युनिकेशंस का स्पेक्ट्रम साझा करके राजस्व जुटाने वाली रिलायंस जियो को एजीआर से संबंधित बकाया रकम का भुगतान करने के लिए क्यों नहीं कहा जाए?
न्यायालय का यह सवाल तब सामने आया जब केंद्र सरकार ने कहा कि स्पेक्ट्रम की बिक्री के मसले पर दूरसंचार विभाग और कॉरपोरेट मंत्रालय के बीच अलग-अलग राय है। इसके बाद न्यायालय ने कहा कि इस पूरे मामले में केंद्रीय मुद्दा यह है कि स्पेक्ट्रम को बेचा जा सकता है या नहीं?
दूरसंचार विभाग की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि स्पेक्ट्रम देश की सम्पत्ति है और इसे बेचा नहीं जा सकता। इस बारे में शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 13 के तहत स्पेक्ट्रम को बेचा नहीं जा सकता।
उधर रिलायंस जियो की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और आर कॉम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने दलीलें दी। न्यायालय ने बुधवार को यह बताने को कहा है कि क्या आर कॉम के स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल को लेकर रिलायंस जियो बकाये के भुगतान के लिए बाध्य है?