रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े माइनिंग लीज और शेल कंपनी मामले में वकीलों पर होने वाले खर्च का ऑडिट अब सीएजी करेगी। यह जानकारी सांसद निशिकांत दूबे ने दी है। उन्होंने बताया कि सीएजी ने ऑडिट का आदेश दे दिया है।
मामले में भाजपा के गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने नियंत्रक सह महालेखाकार परीक्षक को पत्र लिखा था। इसमें बताया गया है कि झारखंड सरकार के हाई कोर्ट में चल रहे जनहित याचिकाओं और चुनाव आयोग में अयोग्यता मामले में निजी वकील नहीं लगाया गया है।
ये मामले सुप्रीम कोर्ट में भी है। मामले में वकीलों पर एक हियरिंग के एवज में 50 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। सांसद ने उक्त खर्च के ऑडिट की मांग की थी। यह पत्र 21 जून को लिखी गयी थी।
सांसद ने अपने पत्र में बताया है कि विधानसभा से इस मामले में कोई अनुमति नहीं ली गयी है। इसके बाद भी राज्य सरकार निजी वकीलों पर खर्च कर रही है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके सहयोगियों ने कोई निजी वकील नहीं लगाया गया है। राज्य सरकार वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी और पल्लवी लंगर की सेवा ले रहे हैं। ऐसे में झारखंड सरकार अधिवक्ताओं पर लाखों रुपए खर्च कर रही है। वह पैसा जनता