पटना : बिहार में वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2019-20 की अवधि के दौरान चिकित्सकों, पैरा मेडिकल कर्मियों और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे की उपलब्धता के अभाव के कारण जिला अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल रही। विधानसभा में बुधवार को 31 मार्च 2020 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए बिहार सरकार से संबंधित नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट तालिकाओं के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2019-20 की अवधि के दौरान जिला अस्पतालों में बेड, चिकित्सकों, नर्सों, पैरामेडिकल कर्मियों और तकनीशियनों की कमी थी। साथ ही इन अस्पतालों में दवा एवं जांच सुविधाओं की उपलब्धता नहीं के बराबर थी।

बिहार के महालेखाकार (लेखापरीक्षा) रामावतार शर्मा ने ‘जिला अस्पतालों के कामकाज’ की लेखापरीक्षा से संबंधित कैग की रिपोर्ट सदन में पेश होने के बाद संवाददताओं को बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2019-20 की अवधि के लिए जिला अस्पतालों द्वारा प्रदान की जा रही समग्र स्वास्थ्य सेवाओं का आकलन करने के लिए बिहारशरीफ, हाजीपुर, जहानाबाद, मधेपुरा और पटना से सैंपल लिया गया।

श्री शर्मा ने बताया कि भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस) के मानदंडों के विरुद्ध बेड की कमी 52 से 92 प्रतिशत के बीच थी, जिसका अर्थ है कि जिला अस्पताल में बेड की संख्या जनसंख्या के अनुरूप नहीं थी। दो जिला अस्पतालों को छोड़कर, यहां तक ??कि उपलब्ध बिस्तर भी राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत (जून 2009) की तुलना में केवल 24 से 32 प्रतिशत ही थे। बेड की वास्तविक संख्या 10 साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद स्वीकृत स्तर (मार्च 2020) तक नहीं बढ़ाई जा सकी।

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