Joharlive Desk
नयी दिल्ली । केन्द्र ने बहुप्रतीक्षित नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 सहित छह महत्वपूर्ण विधेयकाें को आज मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।
सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां संवाददाताओं को बताया कि बैठक में नागरिकता संशोधन विधेयक और अनुसूचित जाति जनजाति के आरक्षण को दस साल बढ़ाने संबंधी विधेयक को मंजूरी दी गयी है। इसके अलावा संस्कृत के तीन डीम्ड विश्वविद्यालयों को मिला कर एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने संबंधी विधेयक, निजी डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले विधेयक, वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल, स्वास्थ्य आदि की चिंता करने वाला विधेयक और श्रमसुधार संंबंधित विधेयक तथा जम्मू कश्मीर आरक्षण विधेयक को वापस लेने को भी मंजूरी दी गयी। उन्होंने कहा कि निजी डाटा की सुरक्षा का विधेयक भारत की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लाया गया है।
यह पूछे जाने पर कि नागरिकता विधेयक में क्या नये प्रावधान एवं संशोधन शामिल किये गये हैं, श्री जावड़ेकर ने कहा कि विधेयक को संसद में पेश करने के बाद ही इसके बारे में कुछ बताया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में सभी नागरिकों के हितों की रक्षा की गयी है और ऐसे प्रावधान किये गये हैं जिनका सभी लोग स्वागत करेंगे।
यह पूछे जाने पर कि इस विधेयक को संसद में कब पेश किया जाएगा, सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि विधेयक को सदन में गुरुवार या शुक्रवार को पेश किया जा सकता है लेकिन इसका निर्णय संसद करेगी। यह कहे जाने पर कि इस विधेयक का असम में विरोध शुरू हो गया है, श्री जावड़ेकर ने कहा कि विधेयक को संसद में आने दीजिये। लोग इसके प्रावधान जानकर इसका स्वागत ही करेंगे।
पत्रकारों ने जब अन्य विधेयकों के बारे में पूछा तो उन्होंने यह कह कर उसके प्रावधानों को बताने से इन्कार किया कि संसद में पेश किये जाने के बाद ही जानकारी मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि आरक्षण को दस साल के लिए लागू किया जाता है और सामाजिक न्याय की दिशा में उसकी समीक्षा के बाद उसकी अवधि बढ़ायी जाती है। अब आरक्षण की अवधि को 2020 से 2030 तक के लिए बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दे दी है।
उन्होंने बताया कि श्रम मामलों से जुड़े कुल 44 कानून थे और श्रम सुधारों के तहत जिन्हें मिला कर चार कर दिया गया था। इनमें से एक विधेयक को स्थायी समिति को भेजा गया है और एक पारित हो चुका है। एक विधेयक लंबित है और चाैथे को पेश किया जाना है। मजदूरों को न्याय दिलाने के लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है।