रांचीः बीआरपी सीआरपी अपनी सेवा शर्त नियमावली को लेकर पिछले एक साल से इंतजार कर रहे हैं. हर बार उन्हें आश्वासन दिया जाता है कि शायद इस बार के कैबिनेट में नियमावली पर निर्णय हो जाये पर अब तक नहीं हो पाया है. जिसको लेकर बीआरपी-सीआरपी काफी निराश हैं. संघ का कहना है कि यह पूरी तरह से अनभुज पहेली की तरह बन गया है.
विदित हो की बीआरपी सीआरपी झारखंड शिक्षा परियोजना में विगत 18 साल से अत्यंत अल्प मानदेय पर बिना किसी बुनियादी सुविधा यथा ईपीएफ, परियोजना भत्ता , चिकित्सा भत्ता , ग्रुप बीमा के कार्य कर रहे वोही परियोजना में कार्यरत अन्य कर्मी को सरकारी कर्मी को देय सभी सुविधा के साथ उच्च वेतन/ मानदेय दिया जाता है, यहां तक कि पारा शिक्षक का सेवा शर्त नियमावली जनवरी 2022 से लागू कर मानदेय बीआरपी सीआरपी से ज्यादा कर दिया गया. किंतु सरकार बीआरपी सीआरपी के सेवा शर्त नियमावली के लिये गठित कमिटी के अनुसंशा को अभी तक कैबिनेट में लाने में विफल रह रही है.
राज्य में कुल 2700 की संख्या में बीआरपी सीआरपी कार्यरत
राज्य में कुल 2700 की संख्या में बीआरपी सीआरपी कार्यरत हैं. बीआरपी सीआरपी एसएस संघ के अध्यक्ष कृष्णा प्रसाद ने कहा कि दिवंगत शिक्षा मंत्री जग्गानाथ महतो का अंतिम इच्छा बीआरपी सीआरपी को बेहतर सेवा शर्त नियमावली बनाकर सम्मानजनक मानदेय देने की इच्छा को अभी तक सरकार पूर्ण नहीं कर पा रही है. जो चिंता का विषय है.
पांच साल से नहीं बढ़ा मानदेय
उन्होंने कहा कि पिछले 5 साल से बीआरपी सीआरपी का मानदेय में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं हुई है. वहीं परियोजनाकर्मी के मानदेय में कई गुणा वृद्धि हो चुकी है और उन्हें सातवें वेतनमान के समकक्ष मानदेय देने की बात चल रही है. सरकार के इस उपेक्षापूर्ण रवैए से बीआरपी सीआरपी काफी आहत और मर्माहत है जो उनके कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है. संघ द्वारा सरकार से बार-बार आग्रह किया जाता रहा है. पर आज तक कुछ नहीं हुआ.