गिरिडीह। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के बेटे अनूप मरांडी समेत 20 लोगों की हत्या में शामिल नक्सली महेन्द्र मोदी उर्फ महेन्द्र बर्णवाल उर्फ महेन्द्र प्रसाद गुप्ता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। घटना के 15 साल के बाद गिरिडीह पुलिस को इस मामले में बड़ी सफलता मिली है। गिरिडीह एसपी अमित रेणु की क्यूआरटी और भेलवाघाटी थाना की टीम ने महेन्द्र मोदी को बोकारो जिला के जरीडीह थाना अंतर्गत भूतकुरु गांव से पकड़ा है। इसकी पुष्टि करते हुए एसपी गिरिडीह ने कहा कि गिरफ्तार नक्सली महेन्द्र अपना नाम बदल कर काम कर रहा था। वह बिहार के जमुई जिला अंतर्गत चरकापत्थर थाना क्षेत्र के बहेरवातरी गांव का रहने वाला है। छापेमारी टीम में प्रशांत कुमार( थाना प्रभारी भेलवाघाटी), तोबियस केरकेट्टा, विद्याशंकर राय, मलय बाउरी, अजय कुमार राम समेत अन्य पुलिस बल शामिल थे।
ग्राम रक्षा दल के सक्रिय सदस्य दासो साव की हत्या में भी शामिल था महेन्द्र
पुलिस पूछताछ में गिरफ्तार नक्सली महेन्द्र मोदी ने दासो साव हत्याकांड में भी अपनी संलिप्तता को स्वीकार किया है। उसने पुलिस को बताया कि मृतक दासो साव ग्राम रक्षा दल का सक्रिय सदस्य था। वह देवरी थाना अंतर्गत तेतरिया बाजारटांड़ तीसरी नारोटाड के रहने वाले थे। दासो साव हमेशा नक्सलियों का विरोध तथा ग्राम रक्षा दल नारोटांडा के माध्यम से नौजवानों को जागरूक करते थे। जिस बात की जानकारी संगठन को मिली और नक्सलियों द्वारा 18 अक्टूबर 2008 कि सुबह करीब 5 बजे देवरी थाना अंतर्गत ग्राम तेतरिया बाजार में चारों तरफ से घेर कर खेत में ले जाकर गला रेतकर हत्या कर दिया था।
क्या है मामला
26 अक्टूबर 2007 को भाकपा माओवादियों के द्वारा नरसंहार की घटना को अंजाम दिया गया था। इस घटना में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी समेत कुल बीस लोगों की गोली मारकर हत्या हुई थी। इससे पूर्व उत्क्रमित मध्य विद्यालय, चिलखरियोडीह स्थित फुटबॉल मैदान में तूफान स्पॉटिंग क्लब, चिलखारी के द्वारा फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसके समापन दिवस पर फुटबॉल मैदान के बगल में आदिवासी जतरा कार्यक्रम ‘सोरेन ओपेरा’ का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के दौरान मध्य रात्रि में भाकपा माओवादियों के द्वारा कार्यक्रम स्थल को कब्जे में लेकर अंधाधुंध फायरिंग कर नरसंहार की घटना को अंजाम दिया गया था। इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के भाई बाल-बाल बच गए थे।