देवघर: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की दुमका टीम ने बुधवार को देवघर के सिविल सर्जन डॉ. रंजन सिन्हा को 70 हजार घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. नर्सिग होम का लाइसेंस रेन्युअल कराने के नाम पर सिविल सर्जन अपने बेलाबगान स्थित आवास नवजीवन हास्पीटल एण्ड रिसर्च सेन्टर पर घूस ले रहे थे.  गिरफ्तारी के बाद टीम उन्हें दुमका ले गई.

यह है मामला

मधुपुर में बंगाल नर्सिंग होम चलाने वाले आसनसोल (पश्चिम बंगाल) निवासी महफूज अलम की शिकायत पर एसीबी ने उक्त कार्रवाई की है, जिससे पूरे स्वास्थ्य महकमा में हड़कंप मच गया है. नर्सिग होम के संचालक के अनुसार, 2020 में उन्होंने मधुपुर के कॉलेज रोड में 10 बेड का अस्पताल खोला. इनके नर्सिंग होम का 9 जून 2024 तक का प्रोविजनल प्रमाण-पत्र (सं0-203500021) था. जिसका रेन्युअल कराना था. इस बीच इनका गॉल ब्लाडर का ऑपरेशन हुआ था. जिसके कारण नर्सिंग होम संचालक ने 24 दिन की देरी से 03 जुलाई 2024 को प्रमाण-पत्र रेन्युअल का आवेदन सिविल सर्जन कार्यालय, देवघर को दिया. लेकिन काफी दिन के बाद भी जब इनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो ये सिविल सर्जन डॉ० रंजन सिन्हा से मिले.  सिविल नर्सिंग होम का प्रमाण-पत्र रेन्युअल कराने के नाम पर एक लाख रुपए घूस की मांग की.

सिविल सर्जन ने 3-4 किस्तों में मांगी थी घूस की रकम

लेकिन नर्सिग होम संचालक घूस देने में सक्षम नहीं थे. तब सिविल सर्जन ने कहा कि तीन-चार किश्तों में घूस की रकम दे देना.  आखिरकार नर्सिग होम संचालक ने एसीबी से मामले की शिकाय़त की। एसीबी ने मामले की जांच की तो सिविल सर्जन ने घूस की रकम एक लाख बढ़ा कर डेढ़ लाख कर दी. एससीबी की जांच में इस बात की पुष्टि हुई. नर्सिंग होम संलाचक द्वारा घूस की रकम की पहली किश्त बुधवार को सिविल सर्जन को देने उनके आवास गए थे. साथ में एसीबी की टीम भी थी. जैसे ही नर्सिंग होम संचालक ने घूस दिया, एसीबी टीम ने सिविल सर्जन को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.

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