नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन को अधिसूचित किया. इसके साथ ही यह कानून देश भर में लागू कर दिया गया है. 3 देशों के गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी. अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को इससे बड़ी राहत होगी.

आसान शब्दों में समझें नागरिकता संशोधन कानून

CAA को हिंदी में नागरिकता संशोधन कानून कहा जाता है. नागरिकता संशोधन कानून 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया है. इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा.

पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था. इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है आसान शब्दों में कहा जाए तो भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है.

CAA से किसे मिलेगी नागरिकता

CAA के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी. इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे.

CAA भारतीय नागरिकों को प्रभावित नहीं करेगा

भारतीय नागरिकों से इसका कोई सरोकार नहीं है. संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है. CAA या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता.
आवेदन के लिए क्या प्रक्रिया होगी: आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन रहेगी. आवेदकों को बताना होगा कि वे भारत कब आए. पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज नहीं होंगे, तब भी आवेदन कर पाएंगे. इसके तहत भारत में रहने की अवधि पांच साल से अधिक रखी गई है. अन्य विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह समय अवधि 11 साल से अधिक है.

इन देशों के गैरकानूनी मुस्लिम इमिग्रेंट्स का क्या

CAA विदेशियों को निकालने के बारे में नहीं है. इसका गैरकानूनी शरणार्थियों को निकालने से लेना-देना नहीं है. ऐसे शरणार्थियों के लिए विदेशी अधिनियम 1946 और पासपोर्ट अधिनियम 1920 पहले से लागू हैं. दोनों कानूनों के तहत किसी भी देश या धर्म के विदेशियों का भारत में प्रवेश या निष्कासन किया जाता है.

1955 के कानून में बदलाव किया गया

2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (CAA) पेश किया गया था. इसमें 1955 के कानून में कुछ बदलाव किया जाना था. ये बदलाव थे, भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना. 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा गया. कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट सौंपी थी.

2019 में लोकसभा-राज्यसभा से बिल पास हो चुका

11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (CAB) के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे. 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई. देशभर में भारी विरोध के बीच बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद यह कानून की शक्ल ले चुका था. इसे गृहमंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था.

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