पटना : बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) ने तीसरे चरण की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा को आयोग ने 15 मार्च को दोनों शिफ्ट में हुई परीक्षा को रद्द कर दिया है. पेपर लीक मामले में आर्थिक अपराध शाखा की जांच के बाद आयोग ने परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया है. बता दें कि बीपीएससी TRE-3 एग्जाम की परीक्षा का पेपर लीक होने के मामले में हजारीबाग से पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था. हजारीबाग में पांच बैंक्वेट हॉल में करीब 300 अभ्यर्थियों को परीक्षा से पहले ही आंसर सीट उपलब्ध करा दिया गया. उन्हें प्रोजेक्टर पर सवाल के जवाब बताए गए थे. बीते कई दिनों से अभ्यर्थी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे थे. अभ्यर्थियों ने 21 मार्च को बड़े आंदोलन की भी चेतावनी दी थी. जिसके बाद आयोग ने बुधवार को परीक्षा रद्द करने का फैसला लिया है.
आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने बिहार पुलिस और झारखंड पुलिस के सहयोग से पहले झारखंड के हजारीबाग के एक होटल में परीक्षा के लिए अभ्यास कर रहे परीक्षार्थियों को हिरासत में लिया था और पूछताछ में अनियमितताएं सामने आने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. इस कार्रवाई के दौरान 10 सॉल्वर भी पकड़े गए थे. ईओयू की जांच में यह बात भी सामने आई कि 15 मार्च को होने वाली परीक्षा का प्रश्नपत्र 14 मार्च को ही लीक हो गया था. इन अभ्यर्थियों को बिहार से झारखंड ले जाया जा रहा था और सवालों के जवाब याद कराये जा रहे थे. योजना के मुताबिक, उन्हें बसों से परीक्षा केंद्रों तक ले जाया जाना था, लेकिन ईओयू ने उनकी योजना को विफल कर दिया.
जांच के दौरान पता चला है कि परीक्षार्थियों से 10-10 लाख में सॉल्वर गैंग ने डील फिक्स किया था. लाखों की राशि उनसे उतार ली गई थी उसके बाद पूछे जाने वाले प्रश्नों की तैयारी के लिए उन्हें हजारीबाग के कोहिनूर होटल में ले जाया गया था. सॉल्वर गैंग से प्राप्त कागजातों में लेनदेन के सबूत भी मिले हैं. पेशी के दौरान अभ्यर्थियों ने इसकी पुष्टि भी की. जिन लोगों ने पैसे नहीं दिए थे, उनके ओरिजिनल डॉक्युमेंट गैंग ने अपने पास सीज कर लिया था. उनसे ब्लैंक चेक भी लिए गए थे. एक अभ्यर्थी के संबंधी ने बताया कि उससे एक लाख नगद लिया गया था उसके बाद सवालों के उत्तर हटाने के लिए हजारीबाग भेजा था. बाकी भुगतान मेरिट लिस्ट में नाम आने के बाद होता.
तेजस्वी यादव ने भी इस BPSC पेपर लीक मामले में बीते दिनों ट्वीट कर लिखा था कि हमारे 𝟏𝟕 महीनों का सुनहरा कार्यकाल, जिसमें पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से युवाओं को चार लाख से अधिक नौकरियां दी गयी, वह बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं का स्वर्णिम काल था. अब जदयू-भाजपा सरकार ने डेढ़ महीने में ही 𝟏𝟕 साल के पुराने कारनामों को दोहराते हुए नकल माफिया को इतना प्रोत्साहन दे दिया कि शिक्षक भर्ती के तीसरे चरण में प्रतियोगी परीक्षाओं के विश्व इतिहास में प्रथम बार एडमिट कार्ड में ही आंसर की बतायी जा रही है. और तो और पेपर लीक कराने वाले नकल माफिया को बचाने के लिए इनके वरिष्ठ मंत्री प्रशासन पर दबाव बना रहे है. पुलिस को फोन कर रहे मंत्रियों का नाम- बूझों तो जाने?
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