भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य भर के कॉलेजों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं द्वारा लिखी गई पुस्तकों को पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल करने का निर्देश जारी किया है. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी इस आदेश ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है.
इस निर्देश का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप भारतीय ज्ञान परंपराओं को अकादमिक पाठ्यक्रम में शामिल करना है. विभाग ने कॉलेजों में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ’ के गठन की भी सिफारिश की है, ताकि इन पुस्तकों की शुरुआत की जा सके.
मध्यप्रदेश के शासकीय और प्राइवेट कॉलेजों में कोर्स से जुडी किताबों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कुछ किताबों के लेखक आरएसएस से जुड़े हुए बड़े नाम हैं जिसे लेकर कांग्रेस ने आपत्ति उठायी है.
भाजपा का बचाव
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि इन पुस्तकों का छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘शिक्षा के भगवाकरण में गलत क्या है? कम से कम हम उस राष्ट्र-विरोधी विचारधारा को नहीं बढ़ावा दे रहे हैं, जिसे वामपंथी विचारकों ने कभी हमारे स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रमों में थोपा था.’
मुख्यमंत्री डॉ। मोहन यादव का बयान
यह निर्देश मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने राज्य के शैक्षिक पाठ्यक्रम में भगवान राम और भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को शामिल करने की योजना की घोषणा की थी। यादव, जो पिछले भाजपा शासन में उच्च शिक्षा मंत्री थे, भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को शिक्षा प्रणाली में एकीकृत करने के प्रबल समर्थक रहे हैं।