Joharlive Team
रांची। आज भी देश के कई इलाकों में ऑनलाइन कक्षाएं और जूम ऐप महामारी काल में गरीबों के लिए दूर की कौड़ी है। ऐसे में झारखंड का डुमरथर गांव जरमुंडी दुमका में शिक्षा की मशाल जलाने में एक नेतृत्व के रूप में उभरा है जो लोगों के लिए नजीर बन गया है।
कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान झारखंड के कई इलाकों तक ऑनलाइन शिक्षा भले ही नहीं पहुंच पा रही है। लेकिन वहीं झारखंड के दुमका में एक अनोखी पहल हुई, जहां बच्चों के घरों तक शिक्षा इस अनोखे ढंग से पहुंच रही है। इलाके के सरकारी मिडिल स्कूल के शिक्षकों ने आदिवासी बहुल इलाके में छात्रों के घर तक शिक्षा पहुंचाकर एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है।
स्कूल के प्रिंसिपल डॉ सपन पतरालेख ने लॉकडाउन शुरू होने के बाद चार अन्य पैरा टीचरों के साथ विचार किया कि अगर आदिवासी समुदाय के छात्रों को शिक्षा और कक्षाओं से नहीं जोड़ा गया तो वे जो कुछ भी सीख चुके हैं उसे भूल जाएंगे। साथ ही, वे पढ़ाई में रुचि खो देंगे क्योंकि वहां इंटरनेट और ऑनलाइन कक्षाएं थोड़ी मुश्किल थीं।
इसके लिए उन्होंने अभिनव प्रयोग शुरू किया. वो लोग गांवों में गए वहां की मिट्टी की दीवारों को ब्लैक बोर्ड बना दिया। बता दें कि उस इलाके से स्कूल में 289 छात्र नामांकित थे, इन सभी के घर तक शिक्षा पहुंचाने के लिए उनके घरों के बाहर बने चबूतरों को ही क्लासरूम में तब्दील कर दिया है।
सबसे पहले शिक्षकों ने पास के दो गांवों में दो-दो बिंदुओं की पहचान की और मिट्टी के बने घरों की दीवार को ब्लैकबोर्ड के रूप में इस्तेमाल किया। सभी छात्रों के पास उनके डस्टर और 50 छात्रों के पास दो अलग-अलग जगहों पर ब्लैकबोर्ड के आस-पास की सीट है। पास के एक गांव में दो जगह पर एक समान व्यवस्था की गई है। यहां शिक्षक दो गांवों में घूमकर पढ़ाते हैं।
शिक्षक अपने साथ एक लाउडस्पीकर और ब्लैकबोर्ड ले जाते हैं. फिर छात्र ब्लैकबोर्ड पर अपना सवाल लिखते हैं, और शिक्षक अपने बोर्ड पर इसे हल करके बताते हैं. इसी से विद्यार्थी को उनकी समस्या का समाधान मिल जाता है और दूसरे छात्र भी सीखते हैं। शिक्षक और छात्र दोनों आपस में उचित सोशल डिस्टेंस बनाए रखते हैं। डॉ. सपन पतरालेख ने इंडिया टुडे से बात करते हुए मुहल्ला स्कूल की जानकारी दी।
इस स्कूल को लेकर जिले की डिप्टी कमिश्नर (DC) बी राजेश्वरी ने इसे ट्विटर पर साझा किया। उन्होंने नीती अयोग को टिप्पणी के साथ इसे टैग किया है कि कैसे छात्र एक नई स्वदेशी प्रणाली में शिक्षा तक पहुंच बना रहे हैं और शिक्षकों द्वारा कैसे मुहल्ला स्कूल विकसित किया गया है।
उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा सोची गई शिक्षा की नई प्रणाली से हमें समय पर पाठ्यक्रम पूरा करने में मदद मिलेगी और साथ ही यह छात्रों को उनकी पढ़ाई में मदद करेगा।