रांची : संविधान का अपमान करने वाले इंडी गठबंधन वाले आज संविधान बचाने की बात कर रहे है. ये बातें मंगलवार को भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने मारू टावर स्थित मीडिया सेंटर में कहीं. उन्होंने कहा कि इंडी गठबंधन के लोग संविधान बचाने की बात कह कर घड़ियाली आंसू बहा रहे है. दरअसल संविधान का सर्वाधिक अपमान इसी इंडी गठबंधन के लोगों ने किया है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट से पारित अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़ने वाले राहुल गांधी अब संविधान बचाने का नाटक कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि संविधान का पहला संशोधन 1951 में जवाहरलाल नेहरू ने किया था, जब वह अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री थे. अभिव्यक्ति की आजादी पर कई पाबंदियां लगाई गई थी. 1975 में जब राजनारायण मामले में इंदिरा गांधी मुकदमा हार गई तो उन्होंने पूरे संविधान को ही सस्पेंड कर देश में आपातकाल लगा दिया. लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए. नसबंदी की जाने लगी. 1976 में 42वें संशोधन के जरिए इंदिरा गांधी ने संविधान का सबसे बड़ा परिवर्तन किया था. जिसमें 20% संविधान को बदल दिया गया. राज्य सरकार,सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट की शक्तियों को कम करके पीएमओ में दे दिया. सुप्रीम कोर्ट ने मिनर्वा वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया मामले में इसके विवादास्पद प्रावधानों को निरस्त किया.
प्रतुल ने आगे कहा कि राजीव गांधी ने 1986 में शाहबानो मामले में सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलते हुए संविधान की मूल भावना के विपरीत जाकर अदालत के निर्णय को पलटवा दिया. संविधान में प्रेस की आजादी वर्णित है लेकिन राजीव गांधी ने 1988 में मानहानि विधायक लाकर प्रेस पर अंकुश लगाने का प्रयास किया था. संविधान की कोख से जन्मे संसद के कैबिनेट से पास अध्यादेश को शहजादे राहुल गांधी ने 2013 में सार्वजनिक रूप से फाड़कर संविधान का अपमान किया. कांग्रेस और उनके सहयोगियों को देश के संविधान पर भरोसा ही नहीं है.
केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की सारी सीमाएं यूपीए के शासनकाल में भी पार कर दी. 2013-14 का यूपीए सरकार के आउटकम बजट में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि बजट की राशि का 15% हिस्सा अल्पसंख्यक के लिए प्रयोग किया जाएगा. लेकिन इसके उलट मोदी सरकार का मूल मंत्र है सबका साथ, सबका विकास,सबका विश्वास. कांग्रेस के लिए अल्पसंख्यक का अर्थ सिर्फ मुस्लिम है. अगर जैन,बौद्ध,पारसी और क्रिश्चियन भी उनके अल्पसंख्यक की सूची में आते तो ये सीएए का विरोध नहीं करते. आज कांग्रेस पूरे देश में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रूप से सीपीएम के साथ गठबंधन में है. जिसने अपने मेनिफेस्टो में धारा 370 को हटाने का वचन दिया है. इसके अतिरिक्त सीपीएम ने सीएए, ईडी और परमाणु हथियारों के जखीरा को समाप्त करने की बात कह कर भारत की संप्रभुता से खिलवाड़ किया है. कांग्रेस ने अपने सहयोगियों से हिडन एजेंडा को लागू कराने का प्रयास कराया है. कांग्रेस के किसी नेता ने सीपीएम के इस ऐलान की निंदा नहीं की है.
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