रांची: चुनाव का बिगुल बजते ही बीजेपी आक्रामक मोड में आ गई है. सत्ताधारी दल पर निशाना साधने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड की सरकार को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने कहा कि बीते 5 सालों में बेरोजगारी, घुसपैठ, अपराध, भ्रष्टाचार, कुशासन, तुष्टिकरण, दलित-आदिवासी-पिछड़े समाज का उत्पीड़न बढ़ा है. झारखंड की जनता अब परिवर्तन चाहती है. उन्होंने कहा कि यह चुनाव आदिवासी समाज के अस्तित्व को घुसपैठियों से बचाने का चुनाव है. उन्होंने यहां कि जनता से अपील करते हुए कहा कि उठो साथियों, उठो भाइयों…परिवर्तन करना होगा. रोटी, बेटी, माटी की खातिर हमको लड़ना होगा.

गोगो दीदी योजना से डर गई सरकार

उन्होंने 2020 के बजट सत्र का जिक्र करते हुए कहा कि विधानसभा के अंदर हेमंत सरकार ने स्नातक युवाओं को 5000 रुपए प्रति महीना और स्नातकोत्तर युवाओं को 7000 रुपए प्रति महीना बेरोजगारी भत्ता देने का प्रस्ताव पारित किया था. लेकिन आज तक युवाओं को एक रुपया भी बेरोजगारी भत्ता नहीं मिला. भाजपा की गोगो दीदी योजना से भयभीत होकर हेमंत ने मंईयां योजना की राशि बढ़ाने की बात कही है. लेकिन हेमंत की घोषणाओं पर जनता को भरोसा नहीं रहा. यदि हेमंत सोरेन की नियत ठीक रहती तो वे तीन माह पहले ही मंईयां योजना की राशि बढ़ा देते. उन्होंने कहा कि जनता इस ठग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को करारा जवाब देगी.

केंद्र की योजनाओं में भी मचा रही लूट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार गरीबों, दुखियों का पेट भरने के लिए अनेकों योजनाएं लाती है. जिससे उनकी थाली में भोजन सुनिश्चित हो सके. लेकिन कुछ मानसिक रूप से अपंग, गरीब कल्याण विरोधी सरकार इन योजनाओं का ऐसा कायाकल्प करती है जिससे गरीबों की थाली का निवाला छीन कर अपनी तिजोरी का वजन बढ़ा सकें. उन्होंने कहा कि जी हां मैं उसी भ्रष्टाचारी हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार की बात कर रहा हूं जो अपने आप को गरीबों का मसीहा कहने से तो नहीं थकती. लेकिन जब बात केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही गरीब कल्याण योजनाओं की आती है, तो यही हेमंत सरकार गरीबों का निवाला छीन कर अपना भ्रष्टाचारी रूपी पेट भरने में मस्त हो जाती है.

कहीं और जा रहा गरीबों का अनाज

मोदी सरकार द्वारा गरीबों के लिए ख़ास तौर पर दो महत्वपूर्ण कल्याणकारी अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीबों को प्रतिमाह 5 किलोग्राम मुफ्त राशन मुहैया कराया जा रहा है. साथ ही साथ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 1-3 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से 5 किलोग्राम अनाज मुहैया कराया जा रहा है. लेकिन झारखंड में गरीबों की थाली में अनाज पहुंचने की बजाय, हेमंत सरकार के संरक्षण में चल रहे सिंडिकेट के माध्यम से राशन बिहार और पश्चिम बंगाल में पहुंच रहा है.

भ्रष्टाचार का नेटवर्क तैयार

हेमंत सोरेन जो प्रदेश में गरीबी खत्म करने की बजाय गरीबों को खत्म करने का संकल्प ले बैठे हैं. उन्होंने भ्रष्टाचार का एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया है कि किसी भी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लाभुकों तक नहीं पहुंच रहा है. हेमंत सरकार की मिलीभगत से झारखंड में राशन माफियाओं का एक सिंडिकेट तैयार हो चुका है. जिसमें डीलर से लेकर मुख्यमंत्री तक सबकी संलिप्तता है. एक सुनियोजित तरीके से राशन वितरण के एक दिन पहले डीलरों द्वारा यह कहकर गरीब परिवारों से अंगूठा लगवाया जाता है कि आपको राशन कल वितरित किया जाएगा, अगले दिन फिर से लाभुकों द्वारा मशीन में अंगूठा लगवाया जाता है और 1- 3 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से पांच किलोग्राम राशन दे दिया जाता है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि पहली बार जब अंगूठा लगवाया जाता है तब वह प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मिलने वाले प्रतिमाह 5 किलोग्राम मुफ्त राशन लिए लगवाया जाता है, लेकिन उसके बाद भी डीलर द्वारा राशन नहीं दिया जाता है, बल्कि पूरी चालाकी से गरीब कल्याण योजना का राशन सिंडिकेट के माध्यम से कालाबाजारी के लिए पहुंचा दिया जाता है.

माफी मांग लीजिए, कहीं देर न हो जाए

हेमंत जी, ये सोचने की भूल मत कीजिए कि आप ऐसी ही मनमानी करके गरीबों का हक मारते रहेंगे, क्योंकि वक्त बदल रहा है. समय खुद परिवर्तन की मांग कर रहा है. इससे पहले कि ये क्रांति का रूप ले ले, अपने भ्रष्टाचारी नेटवर्क को खत्म करके बोले गए अपने हर झूठ और जनता के साथ किए गए विश्वासघात के लिए प्रदेश की जनता के समक्ष सार्वजनिक रूप से माफी मांग लीजिए. कहीं देर न हो जाए.

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