Joharlive Desk

नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव के समय से होने को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग, बिहार के राज्य चुनाव आयोग के लगातार संपर्क में है। राज्य के हालात की रिपोर्ट लगातार आयोग मांग रहा है। चुनाव आयोग अपने स्तर से सभी तैयारियां, नवंबर में विधानसभा के खत्म होते कार्यकाल को ध्यान में रखते हुए करने में जुटा है। राज्य में मतदान कर्मियों को चुनाव कराने की ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त होगा। बिहार में समय से चुनाव कराने या टालने को लेकर राजनीतिक दलों की राय बंटी हुई नजर आ रही है। सत्तापक्ष समय से चुनाव कराने पर जोर दे रहा है, तो कोरोना का हवाला देते हुए विपक्ष चुनाव टालने की मांग उठा चुका है। सभी राजनीतिक दल 11 अगस्त तक अपने सुझाव भी चुनाव आयोग के पास भेज चुके हैं।

बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कोरोना की चुनौती के कारण जनहित में चुनाव को टालने की मांग कर चुके हैं। तेजस्वी ने कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा था कि वह लाशों के ढ़ेर पर चुनाव कराना चाहते हैं। भाजपा की तरफ से उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी समय से चुनाव की वकालत कर चुके हैं। जदयू का भी रुख भाजपा के साथ है। हालांकि, एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की राय विपक्षी राजद से मिलती-जुलती है। तेजस्वी यादव की तरह चिराग पासवान भी नवंबर में चुनाव नहीं चाहते हैं। वह चुनाव टालने की मांग कर चुके हैं।

भाजपा के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने आईएएनएस से कहा, बिहार में विधानसभा चुनाव कब कराए जाएंगे, इस पर फैसला चुनाव आयोग को ही करना है। लेकिन, भाजपा मानकर चल रही है कि चुनाव समय से होंगे। इसी के अनुरूप पार्टी तैयारियों में जुटी है। जून-जुलाई में ही विधानसभावार वर्चुअल रैलियां करने में पार्टी सफल रही है। कोर कमेटी की मीटिंग भी नियमित रूप से होती है। उम्मीद है कि कोरोना के कारण बिगड़े हालात जल्द सुधरेंगे और समय से विधानसभा चुनाव होंगे।

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