रांचीः भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सोमवार को प्रदेश मुख्यालय में प्रेस वार्ता की. जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी लीगल टीम पर हाईकोर्ट में मामले को जबरन लटकाने का बड़ा आरोप लगाया. प्रतुल ने उच्च न्यायालय की वेबसाइट से निकाले हुए दस्तावेज को जारी करते हुए दिखाया कि किस तरीके से 23 तारीख को मुख्यमंत्री की लीगल टीम ने उनके इशारे पर जिस याचिका को हाईकोर्ट में दाखिल किया है उसमें पांच डिफेक्ट लगे हुए हैं. बताते चलें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से शनिवार को झारखंड हाई कोर्ट में ईडी के समन के खिलाफ रिट पिटीशन दायर किया गया है. इस डिफेक्ट के दूर करने के बाद ही सुनवाई की तारीख निर्धारित की जाएगी. हालांकि इस पिटीशन में जो डिफेक्ट है,उसका अनुपालन करने की तारीख तीन अक्तूबर निर्धारित की गई है. यानी पिटीशन में जो कमी है, उसे तीन अक्तूबर तक दूर किया जाए.
मामले को उलझाने का प्रयास
प्रतुल ने कहा यह सिर्फ चतुराई और धूर्तता से ईडी समन मामले को उलझाने का प्रयास है. प्रतुल ने कहा कि क्या मुख्यमंत्री के महंगे वकीलों, लीगल टीम को यह भी नहीं पता कि याचिका की एक्स्ट्रा कॉपी दी जाती है. सत्ताधारी गठबंधन पूरे जोर-जोर से कहता है कि मुख्यमंत्री ईडी के मामले में उच्च न्यायालय गए हैं. लेकिन याचिकाओं में डिफेक्ट को छोड़ दिया है. जिससे मामला तब तक सूचीबद्ध नहीं होगा जब तक इन डिफेक्ट को दूर नहीं किया जाएगा. ऐसे में साफ है कि एक बार फिर से लटकाने का प्रयास हो रहा है. प्रतुल ने कहा यह पहला मामला नहीं है जब डिफेक्ट छोड़कर मुख्यमंत्री ने याचिका को लटकाया हो.
उच्च न्यायालय में मामला लंबित
इसके पूर्व भी जब वो झारखंड के राज्यपाल के खिलाफ नवंबर, 2022 में मुकदमा दाखिल किया था, वह आज तक इसलिए सूचीबद्ध नहीं हुआ है क्योंकि उसमें भी अभी तक डिफेक्ट है. प्रतुल ने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री जी ने खूब प्रचार किया था कि राज्यपाल के खिलाफ उच्च न्यायालय गए हैं. लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि जानबूझकर इन मुकदमों में डिफेक्ट छोड़ दिया जाता है, जिससे मामला उच्च न्यायालय में फाइल तो हो जाए लेकिन सूचीबद्ध नहीं हो. मुख्यमंत्री को स्पष्ट करना चाहिए कि मामला उच्च न्यायालय में 11 महीने से डिफेक्ट के कारण क्यों लंबित है?
चाल नहीं होगी कामयाब
मुख्यमंत्री को पता है कि कानून के लंबे हाथ उन तक पहुंच गए है. इसलिए वह सारे मामले को ज्यादा से ज्यादा टालने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन बहुत दिनों तक यह चाल कामयाब नहीं होगी. यह मानना संभव नहीं है कि मुख्यमंत्री ने जिन लाखों रुपए के फीस वाले वकीलों को हायर किया है उनको इन डिफेक्ट को दूर करने में कोई परेशानी होगी. पूरा मामला को लटकाने के लिए डिफेक्ट छोड़े जा रहे हैं ताकि यह मामले सूचीबद्ध होकर सुनवाई में नहीं आए. प्रेस वार्ता में अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व विधायक शिवशंकर उरांव,मोर्चा के प्रभारी,पूर्व विधायक रामकुमार पाहन,मोर्चा के महामंत्री विंदेश्वर उरांव भी मौजूद थे.