नई दिल्ली: सोमवार को संसद के मानसून सत्र के दौरान बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग टूट गई. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने साफ तौर पर कहा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. एक सवाल के जवाब में मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि इससे पहले देश के कुछ राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है. विशेष श्रेणी का दर्जा राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) द्वारा दिया जाता है. इसके लिए कुछ मापदंड तय किए गए हैं, जिन पर बिहार बिल्कुल भी खरा नहीं उतरता. इसके बाद बिहार के 13 करोड़ लोगों का सपना टूट गया है. बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, निर्दलीय सांसद पप्पू यादव समेत राज्य के सभी दलों के नेता बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे थे. जेडीयू के राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने भी मानसून सत्र शुरू होने से पहले एनडीए की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठाई है. इसके अलावा आरजेडी सांसद मनोज झा ने भी सोमवार को राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के जवाब के बाद यह मांग खत्म होती दिख रही है.
कल भी उठाई थी मांग
जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने 22 जुलाई से शुरू हो रहे बजट सत्र से एक दिन पहले बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग दोहराई थी. सर्वदलीय बैठक में जेडीयू ने खास तौर पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी. इस संबंध में राजीव रंजन ने कहा कि नीतीश कुमार वर्ष 2005 से ही बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे हैं. विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर उस राज्य को विकास कार्यों पर खर्च के लिए केंद्र सरकार से अच्छी रकम मिलती है. हम बार-बार विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करेंगे. लेकिन, जब तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलता, तब तक हमें अतिरिक्त राशि दी जानी चाहिए.