Joharlive Desk
पटना। कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए देश में इक्कीस दिन के लिए लागू लॉकडाउन के आज दूसरे दिन भी बिहार के लोग अपने-अपने घरों में रहे, लेकिन बंदी की वजह से जहां मध्यप्रदेश से आए 85 पिंडदानी गया में फंस गए वहीं सरकार ने ऐसे ही देश-प्रदेश में फंसे लोगों को राहत देने के लिए 100 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की।
बिहार में अधिकांश लोगों ने आज भी घरों में रहना पसंद किया वहीं लॉकडाउन की अवहेलना करने वाले कुछ लोगों को पुलिस ने बल दिखाकर घर वापस भेजा। साथ ही वाहन जब्त कर जुर्माना भी वसूला । छपरा और गया में लोगों को गैस सिलेंडर नहीं मिल पा रहे हैं। वहीं, भागलपुर में खाद्य सामग्री की कमी के कारण खुदरा दुकानें बंद देखी गई। हालांकि, बड़े स्टोर में अभी भी स्टॉक उपलब्ध है। कई जिलों में पहले दिन की तुलना में आज कम लोग निकले। मंडियों में भीड़ कम होने की वजह से सब्जियों के दाम में गिरावट देखी गई।
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इस बीच गया में पिंडदान कर पितरों की मुक्ति (मोक्ष) का मार्ग प्रशस्त करने के विश्वास के साथ आए मध्य प्रदेश के 85 पिंडदानी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए लागू संपूर्ण लॉकडाउन में स्वयं ‘लॉक’ हो गए। लॉकडाउन के कारण फंसे पिंडदानियों के समक्ष खाने-पीने की समस्या उत्पन्न हो गई है। वहीं, वापस जाने के लिए भी इनके पास पैसे नहीं बचे है। पिंडदानी अपने प्रदेश वापस तो जाना चाहते हैं लेकिन ना तो ट्रेनें चल रही है न ही कोई किसी तरह के वाहन का आवागमन हो रहा है। पिंडदानी गया शहर के चांदचौरा मुहल्ले के सिजुआर भवन में रुके हुए हैं। सभी कुछ दिन पूर्व ही पूर्वजों के पिंडदान के लिए गया आए हैं।
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मध्यप्रदेश के उज्जैन जिला निवासी पिंडदानी पूजा बैरागी और नागदा जिला निवासी भेरू लाल देवड़ा ने बताया कि वे लोग पिंडदान के लिए 21 मार्च को गयाजी पहुंचे थे। यहां पिंडदान कर्मकांड करने के बाद 23 मार्च की रात्रि उन्हें वापस ट्रेन से मध्यप्रदेश जाना था लेकिन इस बीच जनता कर्फ्यू एवं लॉकडाउन होने की वजह से सभी ट्रेनें रद्द कर दी गई। वाहनों का भी आवागमन बंद कर दिया गया। पिंडदानियों ने बताया कि लॉकडाउन के कारण सभी फंस गये हैं। उन्होंने कहा कि उनके साथ महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। जो पैसे लाए थे, वह भी खत्म हो गए। अब खाने-पीने की भी समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्होंने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि किसी तरह उन्हें घर वापस भेजा जाए या फिर उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था की जाए।
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वहीं, बिहार सरकार ने लॉकडाउन में फंसे लोगों को राहत देने के लिए 100 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में लॉकडाउन से उत्पन्न स्थिति पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया। बैठक में निर्णय लिया गया कि तत्काल पटना और बिहार के अन्य शहरों में जो भी रिक्शा चालक, दैनिक मजदूर एवं अन्य राज्यों के व्यक्ति जो लॉकडाउन के कारण फंसे हुए हैं उनके रहने तथा भोजन की व्यवस्था राज्य सरकार अपने स्तर से करेगी। इसी तरह बिहार के लोग जो बिहार के बाहर अन्य राज्यों में काम करते हैं और वे लॉकडाउन के कारण वहां के शहरों में फंसे हुए हैं या रास्ते में हैं उनके लिए भी राज्य सरकार स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली के माध्यम से संबंधित राज्य सरकारों एवं जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित कर भोजन एवं आवासन के लिए आवश्यक व्यवस्था करेगी ।