पटना : बिहार में भूमि सर्वे के दौरान कैथी लिपि से संबंधित दस्तावेजों को पढ़ने में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. कैथी लिपि, जो मुगलों और अंग्रेजों के जमाने से प्रचलित रही है, उससे संबंधित अधिकतर दस्तावेज आज भी इस लिपि में ही मौजूद हैं. आजादी के बाद इन दस्तावेजों का लिपांतर नहीं किया गया और कैथी लिपि का ज्ञान रखने वाले विशेषज्ञों की संख्या भी काफी कम हो गई है.
कर्मियों व अधिकारियों को मिलेगी ट्रेनिंग
इस समस्या को हल करने के लिए सरकार ने अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को कैथी लिपि का प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है. बिहार राजस्व और भूमि सुधार विभाग के निदेशक जय सिंह ने इस संबंध में पश्चिम चंपारण के बंदोबस्त पदाधिकारी को एक पत्र लिखा है. पत्र के अनुसार, कैथी लिपि के प्रशिक्षण के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर प्रीतम कुमार और छपरा के मो. वाकर को नियुक्त किया गया है. ये प्रशिक्षक 17 से 19 तारीख तक पश्चिम चंपारण के बंदोबस्त कार्यालय के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रशिक्षण देंगे. प्रशिक्षण के दौरान, कैथी लिपि की मगध, मिथिला और चंपारण की विभिन्न शैलियों की जानकारी भी दी जाएगी. जिला मुख्यालय द्वारा इस प्रशिक्षण शिविर के लिए आवश्यक सुविधाओं और सभागार की व्यवस्था की जाएगी, और प्रशिक्षकों को कक्षावार मानदेय का भुगतान भी किया जाएगा.