Joharlive Desk
बेगूसराय। गर्मी के साथ ही आम का सीजन आ गया है, बाहर से आया फलों का राजा आम बाजार में हर तरफ दिखाई पड़ रहे हैंं। इस साल मंजर देर से आया था, जिसके कारण स्थानीय आम जून के अंतिम सप्ताह के बाद ही बाजार में आएगा। अभी लोग मालदह, बम्बइया, कलकतिया, गुलाबखस, कृष्णभोग आदि की जमकर खरीदारी कर रहे हैं लेकिन यह खरीदारी जानलेवा साबित हो सकता है। बाजार में बिक रहे आम देश में प्रतिबंधित कैल्शियम कार्बाइड से पकाकर बेचे जा रहे हैं।
कैल्शियम कार्बाइड में कुछ मात्रा में आर्सेनिक, शीशा और फॉस्फोरस रहता है। कैल्शियम कार्बाइड रसायन एक कैंसर जनक पदार्थ है तथा इससे पके आम, पपीता आदि फल खाने से विभिन्न प्रकार के कैंसर होने का खतरा है। कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल से पके आम का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से चर्म रोग, पेट की बीमारी, न्यूरोलॉजिकल बीमारियां, लिवर के रोग, सिरदर्द, चक्कर आना, दिमागी विकार, अत्यधिक नींद आना, अनिद्रा, मानसिक उलझन, याद्दाश्त कम होना, उल्टी, दस्त, किडनी में सूजन और आंतों में संक्रमण का भी खतरा रहता है।
कैंसर अवेयरनेस सोसाइटी बेगूसराय के चैप्टर सचिव डॉ. रतन प्रसाद बताते हैं कि प्रतिबंधित रहने के बावजूद फलों को पकाने में अभी भी कैल्शियम कार्बाइड का प्रयोग हो रहा है। फलों के साथ इस रसायन को रखने पर एसिटिलीन नामक गैस बनती है जो फलों को पकाती है। यह एक कार्सिनोजेनिक पदार्थ है, यानी यह मनुष्य के शरीर की कोशिकाओं को कैंसर रोगों में बदल सकता है। बाजार से खरीदे गए इन केमिकल से पके फलों को दस प्रतिशत सफेद विनेगर और 90 प्रतिशत पानी के घोल में रखकर साफ करने और दो-तीन घंटे तक लगातार पानी में रखने के बाद कुछ हद तक फलों को इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है लेकिन इस प्रकार के रसायनों से पके फल नहीं खाना ही मानव जीवन के लिए हितकारी है। कैल्शियम कार्बाइड से आम पकाने पर उसकी वास्तविक खुशबू और मिठास चली जाती है।
आम पकाने के लिए एथिलीन क्लोराइड गैस काफी सुरक्षित है। एथिलीन क्लोराइड गैस से स्प्रे करने पर 24 से 48 घंटे में कोई भी फल पक जाता है। यह एक प्राकृतिक हार्मोन होने के कारण फलों का सेवन करने वालों के स्वास्थ्य पर खतरा उत्पन्न नहीं करता है। यह छिलके को हरा और पीला कर देता है तथा फलों की मिठास एवं खुशबू भी बरकरार रहती है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि एथिलीन क्लोराइड गैस से पके फलों का प्रयोग किया जा सकता है। फलों के जानकार विनय कुमार बताते हैं कि जल्दी बिक्री और ज्यादा मुनाफे की चाहत में आमों को इस रसायन का उपयोग कर पकाकर बाजार में खुलेआम बेचा जा रहा है।
बाजार में जो आम बिक रहे हैं, वह कैल्शियम कार्बाइड से पकाए गए हैं जिसमें आर्सेनिक और गंधक जैसे जहरीले तत्व होते हैं तथा इसे जब पानी में घोला जाता तो एसिटिलीन गैस छोड़ता है और ये तीनों तत्व शरीर के लिए घातक होते हैं। इससे आम में मौजूद विटामिन के गुण भी समाप्त हो जाते हैं। ऐसे पके हुए आम खाने से जहर भी शरीर में प्रवेश कर जाता है। इधर नाम नहीं छापनेे की शर्त पर व्यापारियों का कहना है कि अभी ज्यादातर आम पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण भारत केे विभिन्न हिस्सों से मंगाए जा रहे हैं। अगर प्राकृतिक तौर पर पकाया जाएगा तो सैकड़ों किलोमीटर दूर से आते-आतेे ही खराब हो जाएगा। बाजार में अधिकतर लोग स्वाद कम सुंदरता अधिक देखते हैं।