Share Market : अमेरिका के शेयर बाजारों में कल 18 दिसंबर को तेज गिरावट देखने को मिली, जो पिछले 50 साल में सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है. डाओ जोंस इंडेक्स 1123 अंक गिरकर 42,336.87 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि नैस्डैक इंडेक्स भी 600 अंक से अधिक गिरावट के साथ बंद हुआ. विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व द्वारा की गई 0.25% रेट कटौती के कारण बाजार का माहौल बिगड़ा है. यह कटौती लगातार तीसरी बार की गई है, जिससे अमेरिकी बाजार में और गिरावट आई है और वैश्विक बाजार पर इसका असर पड़ा है. भारतीय बाजार में भी वैश्विक संकेतों के कारण गिरावट का जोखिम बना हुआ है, विशेषकर आईटी सेक्टर में.
भारत का ये सेक्टर होगा प्रभावित
अमेरिकी बाजारों में आई गिरावट का असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ सकता है. खासकर आईटी कंपनियों के शेयरों पर दबाव बनने की संभावना है, क्योंकि नैस्डैक में गिरावट का सीधा असर भारतीय आईटी कंपनियों के शेयरों पर हो सकता है. इस समय, गिफ्ट निफ्टी 300 अंक गिरकर अपने निचले स्तर पर था, हालांकि फिलहाल यह ग्रीन जोन में है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय बाजार में स्थिरता देखने को मिल सकती है, लेकिन आईटी सेक्टर में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है.
क्यों टूटा अमेरिकी बाजार
अमेरिकी बाजार में गिरावट की मुख्य वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की हालिया कॉमेंट्री मानी जा रही है. फेडरल रिजर्व ने संकेत दिए हैं कि साल 2025 में सिर्फ दो बार रेट कटौती की संभावना है, जो बाजार के लिए नकारात्मक संकेत है. इसके अलावा, महंगाई पर काबू पाने के लिए और सख्ती की आवश्यकता की बात फेडरल रिजर्व ने कही, जिससे निवेशकों में अस्थिरता बढ़ी और बाजार में भारी गिरावट आई.