Joharlive Desk
मुंबई : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को भाजपा और शिवसेना से कहा कि वह महाराष्ट्र में जल्द से जल्द सरकार का गठन करें। साथ ही अपने रुख पर अडिग रहते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी एक जिम्मेदार विपक्ष के तौर पर काम करेगी। शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत से बुधवार सुबह मुलाकात के बाद पवार ने पत्रकारों से कहा कि वह फिर से राज्य का मुख्यमंत्री बनने के लिए बेताब नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा और शिवसेना को जल्द से जल्द सरकार का गठन करना चाहिए। हम एक जिम्मेदार विपक्ष के तौर पर काम करेंगे। एनसीपी प्रमुख ने एक बार फिर दोहराया कि उनकी पार्टी और कांग्रेस को एक जिम्मेदार विपक्ष होने का जनादेश मिला है। पवार ने कहा कि मैं चार बार मुख्यमंत्री रहा हूं और अब मुझे दोबारा उस पद को हासिल करने की कोई बेसब्री नहीं है। एक सवाल के जवाब में पवार ने कहा कि कांग्रेस ने महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर क्या फैसला किया है इसका उन्हें कोई अंदाजा नहीं है।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल के बीच दिल्ली में हुई मुलाकात पर उन्होंने कहा कि जरूर सड़क से संबंधित कोई काम होगा।
इससे पहले शिवसेना सांसद संजय राउत शरद पवार से मुलाकात की। पवार से मुलाकात के बाद राउत ने कहा कि वह राज्य और देश के एक वरिष्ठ नेता हैं। महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति को लेकर वह चिंतित हैं। राज्यसभा सदस्य राउत ने पहले कहा था कि उनकी पार्टी ढाई-ढाई वर्ष के लिए मुख्यमंत्री पद साझा करने सहित सत्ता के बंटवारे को लेकर भाजपा से लिखित आश्वासन चाहती थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद साझा करने को लेकर चुनाव से पहले ही सहमति हो गई थी।
शिवसेना नेता संजय राउत ने फिर कहा है कि हम केवल उस प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे जिसे हमने विधानसभा चुनाव से पहले स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ अब नए प्रस्तावों पर कोई भी बातचीत नहीं होगी। भाजपा से न कोई नया प्रस्ताव मिला है और न उन्हें भेजा गया है। भाजपा और शिवसेना ने चुनावों से पहले सीएम के पद पर एक समझौता किया था और उसके बाद ही हम चुनाव के लिए गठबंधन के रूप में आगे बढ़े। राउत ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की साजिश रचने वाले लोग जनादेश का अपमान कर रहे हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़े एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक शिवसेना को सीएम पद देने का सवाल ही नहीं है। अगर शिवसेना को डिप्टी सीएम का पद मिलेगा तो उसे मंत्रिमंडल में अधिक से अधिक 40 फीसदी की हिस्सेदारी दी जाएगी। हां, इस क्रम में उसे कुछ महत्वपूर्ण मंत्रालय दिये जा सकते हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं। अगर फिर भी शिवसेना सीएम पद के लिए अड़ी रही तो राज्य में सरकार के गठन में देरी होना तय है। क्योंकि भाजपा सीएम और कार्यकाल का आधा-आधा बंटवारे की शर्त को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी।
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