Johar Live Desk : लंदन उच्च न्यायालय ने भारतीय व्यवसायी और रक्षा क्षेत्र के सलाहकार संजय भंडारी की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील को स्वीकार कर लिया है. भंडारी पर कर चोरी और धनशोधन के गंभीर आरोप हैं. अदालत ने मानवाधिकारों के आधार पर यह फैसला सुनाया जिसमें उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई.
लंदन हाईकोर्ट ने शुक्रवार को संजय भंडारी की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ की गयी अपील को स्वीकार कर लिया. न्यायमूर्ति टिमोथी होलोयडे और न्यायमूर्ति करेन स्टेन ने पिछले साल दिसंबर में सुनवाई के बाद मानवाधिकार के आधार पर 62 वर्षीय व्यवसायी की अपील को स्वीकार करते हुए अपना फैसला सुनाया. जिसके बाद कोर्ट ने यह निर्णय लिया कि भंडारी को नवंबर 2022 में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी किये गये प्रत्यर्पण आदेश से मुक्त किया जाये.
तिहाड़ जेल में भंडारी को खतरा
लंदन हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रस्तुत सभी साक्ष्यों, विशेष रूप से नए साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए यह निष्कर्ष निकाला गया कि भंडारी को तिहाड़ जेल में अन्य कैदियों और जेल अधिकारियों से धमकी या हिंसा का वास्तविक खतरा हो सकता है. भंडारी का प्रत्यर्पण यूरोपीय मानवाधिकार संधि (ईसीएचआर) के अनुच्छेद 3 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन करेगा. इस अनुच्छेद के तहत, भारत सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों के बावजूद, भंडारी को तिहाड़ जेल में दुर्व्यवहार और जबरन वसूली के गंभीर जोखिम का सामना करना पड़ सकता है.
बता दें कि भारत ने भंडारी के खिलाफ दो प्रत्यर्पण अनुरोध किये हैं. पहला जून 2020 में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत और दूसरा जून 2021 में काला धन अधिनियम के तहत है. कोर्ट ने इस मामले में भारत सरकार द्वारा दिये गये आश्वासनों को भी अव्यवस्थित माना है.
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