जमशेदपुर : झारखंड में विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं. जमशेदपुर में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के लंबे समय तक सक्रिय नेता बाबर खान ने पार्टी से इस्तीफा देकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. बाबर खान ने 35 वर्षों तक जेएमएम के साथ जुड़े रहने के बाद पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया.

कौन हैं बाबर खान

बाबर खान जो जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के मानगो के निवासी हैं ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 20 वर्ष की आयु में जेएमएम से की थी. वह पार्टी के छात्र मोर्चा के प्रमुख संयोजक रह चुके हैं और पार्टी के विभिन्न पदों पर कार्यरत रह चुके हैं, जिनमें उपाध्यक्ष, प्रवक्ता और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के केंद्रीय महासचिव शामिल हैं. उन्होंने 2014 और 2019 में विधानसभा चुनावों में भाग लेने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन के कारण उन्हें टिकट नहीं मिला.

जेएमएम में अब गुरुजी शिबू सोरेन के सिद्धांत नहीं

इस्तीफा देने के बाद बाबर खान ने कहा कि जेएमएम अब गुरुजी शिबू सोरेन के सिद्धांतों से दूर हो चुकी है. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में अब केवल चापलूसों की भीड़ रह गई है. उन्होंने मुस्लिम समुदाय के प्रति पार्टी की उपेक्षा का भी उल्लेख करते हुए कहा कि मुस्लिम वोटों का इस्तेमाल केवल चुनावी लाभ के लिए किया जाता है. बाबर ने कहा कि उनकी चिंताओं में उर्दू बोर्ड का गठन, अल्पसंख्यक शिक्षकों की नियुक्ति और उर्दू की किताबों की कमी शामिल है.

अब किसका दामन थामेंगे बाबर

बाबर खान ने आगे कहा कि वह शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), ओवैसी की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIIM) और झारखंड में उभरते नेता जयराम के संपर्क में हैं. उन्होंने संकेत दिया है कि वह जल्द ही नई पार्टी में शामिल होकर चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं. इस घटना से जेएमएम के लिए राजनीतिक चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं, खासकर जब पार्टी के भीतर इस तरह के प्रमुख नेताओं का पलायन हो रहा है.

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