नई दिल्ली : भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कोलकाता में एक पीजी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले की सुनवाई का सीधा प्रसारण रोकने की पश्चिम बंगाल सरकार की गुहार को ठुकरा दिया है. यह मामला 9 अगस्त को पीजी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या से संबंधित है.
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पार्दीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर विचार करने के बाद इस गुहार को अस्वीकार कर दिया. अदालत ने कहा कि यह मामला व्यापक सार्वजनिक महत्व का है और लोगों को यह जानने का अधिकार है कि अदालत में क्या हो रहा है.
पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत से अनुरोध किया था कि इस मामले की सुनवाई का सीधा प्रसारण न किया जाए. सिब्बल ने तर्क किया कि इस मामले में संबंधित अधिवक्ताओं को धमकाया गया है और उनकी छवि को नुकसान पहुँचाया गया है. उन्होंने यह भी कहा कि जब भी न्यायाधीश इस संवेदनशील मामले पर कोई टिप्पणी करते हैं, तो सार्वजनिक प्रतिक्रिया सामने आती है, जिससे उनके कामकाज पर असर पड़ता है.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल सरकार की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मामले की प्रकृति और महत्व को देखते हुए सीधा प्रसारण एक उचित कदम है. अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सीधा प्रसारण महत्वपूर्ण है ताकि जनता को न्याय प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी मिल सके.
अदालत की पारदर्शिता की भूमिका
इस निर्णय से स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक पारदर्शिता और सार्वजनिक निगरानी को महत्व दिया है. अदालत का मानना है कि इस मामले में खुली सुनवाई और सीधा प्रसारण यह सुनिश्चित करेंगे कि न्याय प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो, और इससे जनता का विश्वास न्याय प्रणाली पर बना रहेगा.
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