JoharLive Desk

नयी दिल्ली। सरकार की कथित राष्ट्र विरोधी और जन विरोधी आर्थिक नीतियों के खिलाफ वाम समर्थक 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों के बुधवार को आयोजित किए गए साल की पहली राष्ट्रव्यापी हड़ताल ‘भारत बंद’ का मिला-जुला असर देखा गया।

देशभर में निजी वाहनों का परिचालन नहीं हुआ और यातायात, बिजली तथा बैंकिंग सेवायें बाधित रही। औद्योगिक क्षेत्रों में कामकाज नहीं हुआ और प्रमुख बाजार बंद रहे। हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, ओड़िशा, तेलंगाना, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश आदि से मजदूरों के धरने प्रदर्शन तथा जनसभायें करने के समाचार मिलें हैं।

हड़ताल से आम जन जीवन आंशिक रुप से प्रभावित हुआ है। इसमें बैंकिंग, औद्योगिक के अलावा परिवहन तथा सेवा क्षेत्र के कामगार भी शामिल हैं। निजी टैक्सी सेवा ओला, उबर और आटो रिक्शा के संगठनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया।

श्रमिक संगठन सभी लोगों को रोजगार, सार्वभाैमिक रुप से राशन, स्वास्थ्य तथा शिक्षा, न्यूनतम मजदूरी 21 हजार प्रति माह , किसानों को कृषि उपजों के उचित मूल्य और सभी को कम से कम 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन देने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून, श्रम संहितायें, सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण करने की योजनाओं को वापस लेना भी इनके प्रमुख मुद्दों मेें शामिल हैं।

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