रांची : भाई बहन के प्यार को प्रगाढ़ करने वाला व्रत भाई दूज जिसे भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. 14 नवंबर को दिन के 02: 36 pm मिनेट में द्वितीया प्रवेश कर रहा है जो 15 नवंबर को दोपहर 02:04 pm मिनेट तक रहेगा. इसलिए उदया तिथि 15 को होने से दोपहर से पूर्व मनाया जाएगा भाई दूज का त्योहार. इसमें भी यदि बृश्चिक लग्न में सुबह 06 :46 am से 08: 59 am के बीच मनाया जाय तो बहुत ही उत्तम होगा.
भाई बहन के प्रेम का प्रतीक भाई दूज धूमधाम से मनाया जाता है. दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भैया दूज का पर्व मनाया जाता है. भाई दूज का संबंध यमराज से होने के कारण इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है. बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं और उनकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं. ब्रह्मवैर्वत पुराण में लिखा गया है कि भाई इस दिन बहन से तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है. इस साल भइया दूज का त्योहार बुधवार, 15 नवंबर को मनाया जाएगा.
भाई दूज पर पूजा विशेष
भाई दूज के दिन भाई बहन प्रातःकाल चन्द्रमा के दर्शन करें और शुद्ध जल से स्नान करें. भाई दूज के मौके पर बहनें, भाई के तिलक और आरती के लिए थाल सजाती हैं. इसमें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि सामग्री होनी चाहिए. तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनाएं. चावल के इस चौक पर भाई को बिठाया जाए और शुभ मुहूर्त में बहनें उनका तिलक करें. तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दें और उनकी आरती उतारें. तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें.
भाई दूज यानी यम द्वितीया पर यमराज को प्रसन्न करने के लिए बहनें व्रत भी रखती हैं. भाई दूज के दिन यमराज के साथ उनके सचिव चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है. आज के ही दिन भाई दूज पर यमराज और चित्रगुप्त की पूजा कैसे की जाती है.
यम देव की पूजा
भाई दूज पर शाम के समय घर के बाहर बाईं ओर मिट्टी के कलश में जल भरकर रखें. इसके ऊपर सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाएं. उनसे प्रार्थना करें कि घर में रहने वाले सभी लोग दीर्घायु और स्वस्थ हों. अगले दिन सुबह कलश का जल घर के प्रत्येक कोने में छिड़क दें.
प्रसिद्ध ज्योतिष
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा, राँची
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