रांची : बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी कांके यहां होने वाले रिसर्च को लेकर चर्चा में रहता है. धान से लेकर सरसो, मड़ुआ, बाजरा, गुंदली और कंगनी की उपज बढ़ाने को लेकर काम चल रहा है. जिसके तहत बीएयू के साइंटिस्ट ने मड़ुआ की नई वैरायटी तैयार की है. जिससे न केवल मड़ुआ की उपज बढ़ेगी बल्कि किसानों की आय भी ज्यादा होगी. जी हां हम बात कर रहे है मड़ुआ की. बीएयू में तैयार किए गए बिरसा मड़ुआ-3 वैरायटी का ट्रायल हो चुका है. एक हेक्टेयर (2.5 एकड़) में 25 क्विंटल मड़ुआ की उपज हो रही है. वहीं 110 दिन में इसकी फसल तैयार हो जाती है. इससे कम समय में फसल तैयार हो जाएगी. बता दें कि मोटे अनाजों में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते है.
सूखे की स्थिति में होगी उपज
बिरसा मड़ुआ-3 कम समय में तैयार होने वाले बीज को किसानों को दिया जा रहा है. इसके लिए केंद्र सरकार का भी सहयोग है. वहीं इस वैरायटी की खासियत यह है कि सूखे की स्थिति में भी इसकी उपज प्रभावित नहीं होगी. यूं कहे तो कम पानी में बेहतर उपज से किसानों को नुकसान नहीं होगा. वहीं कम समय में उपज तैयार होने से वे खेत में दूसरे अनाज की खेती भी कर सकेंगे.
सफेद मड़ुआ का ट्रायल सफल
साइंटिस्ट डॉ अरुण कुमार ने बताया कि बीएयू में सफेद मड़ुआ की वैरायटी तैयार की गई है. वाइट मड़ुआ तैयार किया है. इसकी उपज एक हेक्टेयर में 20-22 क्विंटल होगी. इससे किसानों को ज्यादा लाभ होने की उम्मीद जताई जा रही है. इसके रिलीज के लिए जल्द ही सरकार को प्रपोजल भेजा जाएगा. स्वास्थ्य के लिए ‘मोटे अनाज को केंद्र सरकार बढ़ावा दे रही है. साथ ही कहा कि अभी तक मड़ुआ ब्राउन कलर का होता था. इससे कुकीज, बिस्किट, केक, चाउमीन, सेवई और पास्ता भी तैयार किए जा रहे है. लेकिन सफेद मड़ुआ के आने से प्रोडक्शन में इसकी डिमांड होगी. सफेद होने की वजह से यह ब्रॉउन मड़ुआ से ज्यादा पसंद किए जाने की उम्मीद है.
सीड प्रोडक्शन पर ध्यान दे सरकार
उन्होंने कहा कि हम बेहतर बीज तैयार कर सकते है. लेकिन किसानों तक इस बीज को पहुंचाने के लिए हमारे पास पर्याप्त इंतजाम नहीं है. इसलिए सरकार को बड़े स्तर पर बीज तैयार करने के लिए इंतजाम करने चाहिए. या फिर सरकार यूनिवर्सिटी में प्रापर सुविधाएं उपलब्ध कराए तो हम भी ज्यादा मात्रा में बीज का प्रोडक्शन कर सकते है. इससे ज्यादा से ज्यादा किसानों तक बीज पहुंचाकर प्रोडक्शन को बढ़ाया जा सकेगा.