पटना । कोरोना ने लोगों की आर्थिक सेहत बिगाड़ दी। दवाई का खर्च बढ़ने के साथ कमाई प्रभावित हुई। ऐसे में राजधानी पटना में बच्चों की छोटी जरूरतों के लिए बना गुल्लक बच्चा बैंक बड़ा सहारा बनकर सामने आया। बच्चों की बचत के जमा एक-एक रुपए कई परिवारों के लिए मुश्किल वक्त का सहारा बन गए हैं। इस लॉकडाउन में अब तक 14 बच्चों ने अपनी जमा-पूंजी निकालकर परिवार की मदद की है।

साल 2009 में किलकारी बाल भवन पटना में बने इस बैंक का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। बच्चों को बचत सिखाने के लिए इस बैंक को शुरू किया गया था।पटना का एकलव्य, बच्चा गुल्लक बैंक के 1,212 खाताधारकों में से एक है। लगातार कई सालों से वह अपनी पॉकेट मनी के पैसों को गुल्लक बैंक में जमा करता था। हालांकि एकलव्य ने ये पैसे अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए जमा किए थे। लेकिन छोटी जरूरतों के लिए जमा छोटी सी राशि ने आज उसे और उसके परिवार को बड़ा सहारा दिया। कोरोना के दौर में घर में पैसों की किल्लत हुई तो एकलव्य ने अपने पिता की दवाइयों के लिए अपने गुल्लक बैंक से पैसे निकाले। एकलव्य ने बैंक खाताधारकों के वाट्सऐप ग्रुप पर अपना आवेदन दिया और उसे उसके साढ़े तीन हजार की जमा-पूंजी मिल गई, जिसने उसके पिता की दवा खरीदी।

गुल्लक बैंक मुश्किल हालात में दवाइयों के खर्च से लेकर किताबों का खर्च भी उठा रहा। एकल‌व्य के अलावा नेहा, राजी, अल्पा जैसे 14 बच्चों ने लॉकडाउन में अपने परिवार की मदद के लिए अपनी जमा-पूंजी निकाली है।बिहार शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले बाल भवन पटना में 2009 में गुल्लक बच्चा बैंक की शुरुआत की गई थी। बच्चों द्वारा बच्चों के लिए संचालित होने वाला ये पहला बैंक बना। यही वजह है कि इस बैंक का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। इस बैंक में 1 रुपए भी बच्चे जमा कर सकते थे। खाता खोलने के लिए 10 रुपए जमा करने होते हैं। खाता को एक्टिव रखने के लिए कम से कम 30 रुपए रखना जरूरी है।

गुल्लक बैंक के कुल खाताधारियों की संख्या 3935 हैं। अभी इसके सक्रिय खाताधारक 1,212 हैं। 2009 से 2021 तक इस बैंक ने 79 लाख 67 रुपए का लेन-देन किया है। बैंक में अब तक खाताधारकों ने 41 लाख 87 हजार 519 रुपए जमा किये हैं, जबकि 37 लाख 12 हजार 548 रुपए बैंक अपने खाताधारकों को पेमेंट कर चुकी है।

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