Joharlive Team
चतरा: कहते हैं कि मजबूत इरादों के बल पर जीवन में सबकुछ हासिल किया जा सकता है। कठिनाई पर जीत दर्ज करने की ये कहानी चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड के रोल गांव की महिलाओं ने साबित कर दिखाई है। इस गांव की महिलाओं ने अपनी मेहनत, सकारात्मक सोच व कार्यशैली के बदौलत वो कर दिखाया, जो देश भर की महिलाओं के लिए मिशाल पेश कर रही है। इन महिलाओं ने पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को साकार कर हर किसी को अपना मुरीद बना लिया है।
बांस से बदल डाली जिंदगी
गरीबी का दंश झेल रही इन महिलाओं ने सरकार की जेएसएलपीएस योजना की मदद से आत्मनिर्भरता की राह पकड़ी है। बांस के बने सामानों जैसे डालिया, पंखे और बसोलिया समेत कई अन्य सामान बनाकर बेच ये महिलाएं न सिर्फ घर का खर्चा चला रही है बल्कि अपनी कमाई से बच्चों को अच्छी तालीम भी दिला रही हैं।
महिलाओं ने आपदा को अवसर में बदला
हालांकि इसकी शुरुआत सालों पहले हुई थी लेकिन बदलाव का असर और सही पहचान तब सामने आई जब देश में वैश्विक महामारी के दौर में सभी रोजगार और बाहरी कामों में पूरी तरह से रोक लग गई। कोरोना और लॉकडाउन के कारण घर के पुरुषों की कमाई ठप हो गई थी। ऐसे में पतियों के घर बैठ जाने से इनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई और लोग बेरोजगारी का दंश झेल रहे थे। ऐसे में ये गरीब महिलाएं जेएसएलपीएस समूह से जुड़ गई। इसके बाद इन्होंने बांस से सूप और दउरा समेत कई चीजों को बनाना सीखा। फिर बैंक से कर्ज लेकर काम शुरू कर दिया।
महिलाएं अपने बच्चों को दे रहीं बेहतर जिंदगी
आज बांस से बनाए गए सामान बेचकर ये बच्चों को पढ़ाई करवाने के साथ-साथ घर का खर्चा भी चला रही है। महिलाएं समूह से जुड़ी इसके बाद 23 हजार रुपए ऋण लेकर सूप बनाने का कार्य शुरू किया। बांस से बने सामान की बिक्री कर अच्छी आमदनी हो रही है। अब यही रोजी रोटी और कमाई का जरिया है। किसी प्रकार के आर्थिक लेन-देन की जरूरत पड़ने पर भी सेठ और साहूकार के चक्कर लगाने नहीं पड़ते हैं।
वहीं जेएसएलपीएस के प्रखंड प्रबंधक राहुल रंजन पांडेय ने कहा कि संस्था के माध्यम से गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है। स्वरोजगार से जुड़कर अपने घर परिवार का भरण-पोषण कर रही है। उन्होंने बताया कि समूह की महिलाओं को 98 रूपए का बांस सूप, दउरा, पंखा आदि बनाने के लिए दिया गया है। महिलाएं धीरे-धीरे अपना ऋण चुका रही है।