JoharLive Team
रांची । पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में हुई कथित पुलिस और नक्सली मुठभेड़ की सीबीआई जांच तेज कर दी गयी है। सूत्रों के अनुसार बकोरिया कांड की जांच कर रही सीबीआई जल्द ही मामले का खुलासा कर सकती है। सीबीआई और सेंट्रल फॉरेंसिक लैब को जांच के क्रम में कई साक्ष्य पुलिस जांच को गलत ठहराने वाले मिले हैं। मामले को लेकर सीबीआई जल्द ही सीआरपीएफ के 209 कोबरा बटालियन के उन अफसरों और जवानों से पूछताछ करेगी, जो मुठभेड़ में शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष तीन जुलाई को सीबीआई सेंट्रल फॉरेंसिक लैब के डायरेक्टर एनबी वर्धन और सीबीआई के बड़े अधिकारी पलामू पहुंचे थे और सीबीआई टीम ने घटना का डेमो किया था। बहुत हद तक सीबीआई को इस कांड के अनुसंधान में सफलता हाथ लगी है। जांच के दौरान कांड से जुड़े पुलिस अफसरों से सीबीआई पूछताछ भी कर रही थी। सीबीआई और एफएसएल टीम को नाट्य रूपांतरण के दौरान ही कई ऐसी बातें सामने मिली थी जो पुलिस की जांच को गलत ठहराने के लिए काफी हैं। मुठभेड़ में स्कॉर्पियो गाड़ी का जिक्र किया गया है। बताया गया है कि नक्सली स्कॉर्पियो गाड़ी से आ रहे थे और पुलिस को देखते ही उन्होंने अंधाधुंध फायरिंग की। इसके बाद पुलिस ने भी जबावी फायरिंग की और नक्सलियों को मार गिराया। घटना में स्कॉर्पियो बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।
पुलिस ने अपनी जांच में बताया था कि एक स्कार्पियों से 12 नक्सली आ रहे थे। जो पुलिस को देखते ही गोलियां चलाने लगे। एफएसएल के सदस्यों ने पाया कि स्कार्पियो में 12 लोगों के बैठने के बाद बंदूक से पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग संभव नहीं है। स्कार्पियो के अंदर किसी भी सीट पर बंदूक जैसे बड़े हथियार का मूवमेंट संभव नहीं है। ऐसे में अंधाधुंध फायरिंग की बात कहीं से सही प्रतीत नहीं होती।
बकोरिया कांड में मारे गये सभी 12 लोगों को गोली कमर के ऊपर लगी थी। सीआईडी ने हाइकोर्ट में दिये शपथपत्र में बताया था कि कोबरा बटालियन को नक्सली मूवमेंट की जानकारी पहले से थी और कोबरा बटालियन ने ही पूरा ऑपरेशन प्लान बनाया था। ऑपरेशन में कोबरा के दो एसॉल्ट ग्रुप को शामिल किया गया था। इनमें 45 जवान शामिल थे। इसके अलावा स्पेशल टीम के 16 लोगों को भी शामिल किया गया था। यह एक्शन प्लान आठ जून 2015 की शाम में ही जारी कर दिया गया था और घटना उसी रात हुई थी।
आठ जून 2015 को सतबरवा ओपी के बकोरिया में पुलिस ने मुठभेड़ में 12 नक्सलियों को मारने का दावा किया था। जबकि मृतक के परिजनों ने इसे फर्जी मुठभेड़ करार देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी। हाईकोर्ट के आदेश पर ही सीबीआई जांचकर रही है। पुलिस की गोली से मारे गए लोगों में कुछ नाबालिग भी शामिल थे।
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