रांची। एक हजार करोड़ के खनन घोटाले के आरोपी राजेश यादव उर्फ दाहू यादव नाम का एक बाहुबली झारखंड में ईडी और पुलिस के लिए पिछले 11 महीनों से बड़ी चुनौती बना हुआ है। उसकी तलाश में पहाड़ से लेकर जंगल तक की खाक छानी जा रही है। उसे पकड़ने के लिए करीब 100 से भी ज्यादा छापामारी हो चुकी है। उसके काले कारनामों पर ईडी अदालत में चार्जशीट फाइल कर चुकी है। उसके घर की कुर्की हो चुकी है। उसके पिता गिरफ्तार कर जेले भेजे जा चुके हैं। लेकिन ईडी और पुलिस की तमाम कसरत के बावजूद वह पकड़ से दूर है।

साहिबगंज के शोभनपुर भट्ठा गांव का रहने वाला दाहू यादव झारखंड के साहिबगंज में एक हजार करोड़ रूपए की अवैध माइनिंग का सबसे बड़ा सरगना है। पुलिस-प्रशासन से लेकर सरकार तक में उसकी पहुंच इस कदर रही है कि वह अवैध तरीके से पानी जहाज का संचालन करता रहा। रविवार को साहिबगंज के चार थानों की पुलिस ने उसकी तलाश में करमा पहाड़ और आसपास की पहाड़ियों पर सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला। पुलिस को सूचना मिली थी कि उसने अपने भाई और बेटे के साथ इन्हीं पहाड़ियों पर ठिकाना बना रखा है।

पत्थर खनन घोटाले में ईडी ने दाहू यादव एवं अन्य के खिलाफ पहली बार 8 जुलाई 2022 को छापेमारी की थी। इस दौरान साहिबगंज, राजमहल, बड़हरवा, मिर्जाचौकी और बरहेट में 18 ठिकानों पर दबिश दी गई। छापेमारी के दौरान 5.37 करोड़ कैश और बैंक खातों में जमा 11.88 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे। ईडी ने 30 करोड़ रुपये की कीमत का मालवाहक पानी जहाज भी जब्त किया था, जिसका संचालन मुख्य तौर पर दाहू यादव करता था। वह मालवाहक जहाज से अवैध तरीके से पत्थर व बालू को साहिबगंज से गंगा नदी के रास्ते बिहार और बंगाल भेजा करता था।

दाहू यादव ईडी के समन पर आखिरी बार 18 जुलाई 2022 को रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में पेश हुआ था। अगले दिन मां की बीमारी का हवाला देकर उसने मोहलत मांगी। इसके बाद कई बार ईडी कोर्ट से समन जारी हुआ, लेकिन वह हाजिर नहीं हुआ।

इधर ईडी ने जांच का दायरा बढ़ाया तो उसके अवैध कारोबार के बड़े साम्राज्य का पता चला। उसने अकूत संपत्ति अवैध तरीके से अर्जित की है। साहिबगंज बिजली घाट के सामने दो भूखंड हैं, जिसकी कीमत करीब 30 करोड़ रुपये है। उनके पास दस महंगी एसयूवी गाड़ियां हैं। जांच के दौरान ईडी ने दाहू यादव के भाई सुनील यादव, बेटे राहुल यादव और पिता पशुपति नाथ यादव को भी अभियुक्त बनाया। दाहू का भाई सुनील यादव जिला परिषद उपाध्यक्ष है।

ईडी के बार-बार के समन के बाद भी जब दोनों पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए तो ईडी ने कोर्ट में कुर्की जब्ती के लिए अर्जी दी। कुर्की जब्ती रुकवाने के लिए दाहू यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन वह सामने नहीं आया। हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद बीते महीने दाहू यादव और उसके छोटे भाई जिला परिषद उपाध्यक्ष सुनील यादव के घर बीते महीने कुर्की जब्ती की गई। उसके पिता पशुपति नाथ यादव को अप्रैल महीने में गिरफ्तार कर लिया गया था।

ईडी जेल में दाहू यादव के पिता से घंटों पूछताछ कर चुकी है। उसके पिता ने दाहू और उसके सहयोगियों के बारे में कोई भी जानकारी देने के इनकार कर दिया। पशुपति यादव ने कहा कि उसे नहीं पता कि दाहू किन लोगों के साथ काम करता है।

इस बीच भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर दाहू यादव के बारे में कई पोस्ट किए हैं। उन्होंने लिखा है कि साहिबगंज पुलिस और प्रशासन के लोग यह जानते हैं कि दाहू मुफसिल थाना के पहाड़ पर भारी संख्या में हथियारबंद लोगों के साथ मजे से रह रहा है, घूम रहा है। लोगों से मिलता-जुलता है। अब तो वह ईडी के गवाहों को बंदूक के बल पर डरा रहा है। फिर भी उसको पकड़ने से कौन रोक रहा है?

उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस की सुरक्षा में उसे इस पहाड़ से उस पहाड़ पहुंचाया जा रहा है। पुलिस प्रशासन पर उसकी गिरफ्तारी से बचाने का आरोप लग रहा है। पिछले पंद्रह दिनों में साहिबगंज में कई हत्या हुई है। आरोप है कि ये हत्याएं वहां डर और आतंक पैदा करने के लिये करायी जा रही हैं। उन्होंने झारखंड के डीजीपी को इस मामले में संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि डीजीपी रांची से विशेष पुलिस दल गठित कर भेजें और उसे दाहू की गिरफ्तारी सुनिश्चित करा कर वहां आतंक राज की समाप्ति करें।

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