Jamshedpur : इस बार बाहा महोत्सव की शुरुआत चार मार्च यानी कल से होगी. यह महोत्सव फागुन माह के पांचवे दिन से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलेगा. जो आदिवासी बहुल इलाकों में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाएगा. जिसमें स्थानीय ग्रामीण अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों और आस्था के साथ शामिल होंगे. बाहा महोत्सव के पहले दिन उम नड़का होगा, जिसके बाद दूसरे दिन बाहा बोंगा और तीसरे दिन बाहा सेंदरा का आयोजन किया जाएगा.
समाज की परंपराएं और पूजा विधि
सरजामदा निदिरटोला के पारंपरिक पुजारी नायके बाबा पलटन हेंब्रम ने बताया कि जैसे हर साल होता है, इस साल भी महिला और पुरुष पारंपरिक परिधान में जाहेरथान में जाकर माथा टेकेंगे और मरांगबुरू तथा जाहेर आयो से आशीर्वाद प्राप्त करेंगे. इसके बाद, पूजा समाप्त होने पर नायके और सह नायके बाबा समाज के लोग सखुआ यानी सरजोम बाहा बांटेंगे. पुरुष साल के फूलों को अपने कानों में पहनेंगे और महिलाएं सखुआ फूल को जुड़ों में सजाएंगी.
तीसरे दिन, बाहा सेंदरा के दौरान आदिवासी संताल समाज के लोग एक-दूसरे पर स्वच्छ पानी डालकर बाहा का आनंद लेंगे और पानी की होली खेलेंगे. यह पानी की होली खेली जाती है क्योंकि रंगों की होली आदिवासी समाज में पूरी तरह वर्जित है.
प्रकृति की उपासना और बाहा पर्व
बाहा पर्व संतालों का एक प्रमुख और पवित्र पर्व है, जिसमें महिला और पुरुष पारंपरिक विधियों से जाहेरथान में जाते हैं और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस पर्व को केवल भारत ही नहीं, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, भूटान और अमेरिका में भी धूमधाम से मनाया जाता है. आदिवासी बहुल इलाकों में बाहा पर्व की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं.
पारंपरिक नियम और वर्जित वस्त्र
पूरीहासा माझी बाबा भोक्ता हांसदा ने इस पर्व के दौरान पारंपरिक नियमों और विधियों का पालन करने की अपील की. उन्होंने बताया कि बाहा बोंगा के दौरान पुरुषों के लिए काला शर्ट, काली धोती और पीली धोती पहनना वर्जित रहेगा. वहीं, महिलाओं के लिए पंची साड़ी, काला साड़ी, जुड़े में गजरा सजाना और गुलाब फूल का उपयोग भी पूरी तरह से वर्जित रहेगा.
बाहा महोत्सव की तिथियां
4 मार्च : देवघर
5 मार्च : सारजमदा, तालसा, काचा, मतलाडीह, पूरीहासा, रानीडीह, बालीगुमा, बड़ा गोविंदपुर, डिमना
6 मार्च : केडो, खुखड़ाडीह
7 मार्च : बारीगोड़ा, गोड़ाडीह
8 मार्च : कदमा
9 मार्च : राहरगोड़ा, बिरसानगर, नरवा कॉलोनी, करनडीह (दिशोम बाहा), सुरदा क्रासिंग (दिशोम बाहा)
10 मार्च : सोनारी
12 मार्च : बर्मामाइंस
13 मार्च : तिलकागढ़, हलुदबनी, उलीडीह, डोमजुड़ी, राजदोहा
बाहा महोत्सव की यह परंपरा स्थानीय आदिवासी समाज की आस्था और प्रकृति से जुड़ी हुई है, और यह प्रत्येक वर्ष श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
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