नई दिल्ली : अगर आप मानसून के दौरान उत्तराखंड के पहाड़ों पर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो सावधान हो जाएं. चूंकि जोशीमठ के पास बद्रीनाथ हाईवे तीसरे दिन भी बंद है. स्थिति यह है कि सड़क से बड़ी चट्टानों को हटाने के लिए विस्फोट भी किये गये, लेकिन दो विस्फोट भी काम नहीं आये. सीमा सड़क संगठन की मशीनें सड़क खोलने के लिए लगातार काम कर रही हैं. लेकिन पहाड़ी दरकने से दिक्कतें आ रही हैं. वहीं पीपलकोटी, पातालगंगा और भनेरपानी में एक्सप्रेस वे खोल दिया गया. गौरतलब है कि मंगलवार सुबह बद्रीनाथ मार्ग पर जोशीमठ में वन विभाग की चौकी के पास मलबा आ गया. मलबा हटाते समय एक बड़ी चट्टान सड़क पर गिर गई, जिससे सड़क का काफी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया. फिलहाल पैदल आवाजाही ही शुरू हो गई है. सड़क खुलने के लिए आपको एक दिन का इंतजार करना पड़ सकता है. बताया गया कि बुधवार को दिन में बड़ी चट्टानों पर विस्फोट भी हुए. लेकिन चट्टान का एक छोटा सा हिस्सा ही टूट सका.
बीआरओ की टीम कर रही काम
बीआरओ की रणनीति बड़ी चट्टानों को विस्फोट से तोड़कर सड़क चालू करने की है. सीमा सड़क संगठन के कमांडर कर्नल अंकुर महाजन ने कहा कि यहां एक रास्ता खोला गया है. हाईवे खोलने का काम रात भर जारी रहेगा. गुरुवार को हाईवे चालू हो सकता है. हाईवे बंद होने से बद्रीनाथ धाम और हेमकुंड, फूलों की घाटी, औली जाने वाले यात्री और पर्यटक फंसे हुए हैं. हेमकुंड और बद्रीनाथ धाम से लौट रहे 800 से अधिक यात्रियों के जोशीमठ गोविंदघाट में फंसे होने की सूचना है. जबकि 2200 यात्रियों को हेलंग, पीपलकोटी, बिरही, चमोली आदि पड़ावों पर रोका गया. बद्रीनाथ धाम हेमकुंड की फूलों की घाटी जाने के लिए.
मलबे के कारण आवागमन बंद
लोक निर्माण विभाग साहिया की कालसी बारातखाई सड़क के किमी पांच पर मलबा आने से यातायात बंद है. लेल्टा पाटा मंडोली सड़क पर तीन स्थानों पर मलबा है. खारसी राजमार्ग के किमी 11 पर भारी मात्रा में मलबा आने से यातायात बाधित है. बोराड़ मार्ग तीन स्थानों पर मलबा आने से बंद है. पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड की कोटडा कल्याणपुर बरवा लांघा सड़क चार स्थानों पर बंद है. सभी स्थलों पर जेसीबी का उपयोग कर मलबा हटाने का काम किया जाता है.
सुरंग को गंभीर क्षति पहुंची
बद्रीनाथ मार्ग पर चट्टान टूटने की घटनाएं लगातार जारी हैं. पहले बलदौरा, हनुमानचट्टी घुड़सिल, जोशीमठ और अब पातालगंगा भूस्खलन जोन में भारी भूस्खलन हुआ है. इस दौरान धूल के गुबार के साथ पत्थरों की बारिश से पूरा इलाका सहम गया. भूस्खलन के कारण हाईवे पर बनी आरसीसी की आधी सुरंग भी क्षतिग्रस्त हो गई.