Joharlive Team
- तीन दिनों में जनप्रतिनिधि की उपस्थिति में सभी उपायुक्त अपने अपने जिलों में बीज वितरण का काम शुरू करायें
- कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने सभी जिला के उपायुक्तों के साथ की विभागीय समीक्षा, दिये आवश्यक निर्देश
- प्रखंड स्तर पर खुलेंगे वेजफेड के आउटलेट
- पलामू में लगेगा स्ट्राबेरी प्रोसेसिंग प्लांट
- किसानों को राहत देने के लिये बनेगा फसल राहत कोष
- एक सप्ताह के अंदर ओलावृष्टि और साइक्लोन से क्षतिपूर्ति की रिपोर्ट भेजें
रांची। राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने सभी जिला के उपायुक्तों को निदेश दिया है कि किसानों और माइग्रेंट मजदूरों के उत्थान तथा उन्हें रोजगार देने के सरकार के मंसूबों को पूरा करने के लिये मिशन मोड में काम किया जाये। उन्होंने कहा कि कृषि, डेयरी और फिशरी से जुड़े किसानों को सरकार की योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ मिले, यह सुनिश्चित किया जाये। उन्होंने निदेश दिया कि बीज वितरण का कार्य तीन दिनों के अन्दर जनप्रतिनिधि की उपस्थिति में प्रारंभ कराया जाये ताकि किसानों को इसका ससमय लाभ मिल सके। वह आज नेपाल हाउस में सभी जिला के उपायुक्तों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से विभागीय समीक्षा कर रहे थे।
बादल पत्रलेख ने कहा कि कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के दौरान जिला स्तर के सभी पदाधिकारियों ने बेहतर काम किया है और लगभग सभी प्रवासी मजदूर अपने घर वापस आ चुके हैं। ऐसे में ग्रामीण विकास विभाग और कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की जवाबदेही काफी बढ़ गयी है। उन्होंने कहा कि माइग्रेंट मजदूरों को पंचायत स्तर की को-ओपरेटिव सोसाइटी से जोड़े ताकि उन्हें रोजगार मिल सके। कृषि, पॉल्ट्री और डेयरी के क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है। उन्होंने सभी उपायुक्तों को निदेश दिया कि ओलावृष्टि और साइक्लोन के क्षतिपूर्ति की रिपोर्ट तीन दिनों के अंदर प्रेषित की जाय ताकि किसानों को फौरी तौर पर राहत दी जा सके। मंत्री ने सभी उपायुक्तों को निदेश दिया कि सरकारी तथा अन्य गैर सरकारी कार्यक्रमों में मेधा डेयरी के प्रोडक्ट के इस्तेमाल पर फोकस किया जाये ताकि दुग्ध उत्पादन से जुड़े कृषकों को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही किसान राहत योजना की शुरूआत करने जा रही है और इसके लिये 100 करोड़ के बजट का भी उपबंध किया गया है। उन्होंने कहा कि फसल बीमा की राशि किसानों को ससमय नहीं मिल पाती थी जिस वजह से यह फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि बीते तीन सालों में फसल बीमा के लिये इंश्योरेंस कंपनियों को सरकार ने 477 करोड़ रूपये प्रीमियम का भुगतान किया था लेकिन किसानों को क्षतिपूर्ति मात्र 77 करोड़ रूपये की ही दी गयी और कंपनियां अपनी जवाबदेही से बचती रही हैं। लेकिन राहत योजना से किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि जिन किसानों को 2018 में सूखे के दौरान क्षतिपूर्ति प्राप्त नहीं हुई है उसकी रिपोर्ट भेजी जाये ताकि विभाग तत्संबंधी कार्यवाही कर सके। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो राहत कोष की राशि बढ़ायी जायेगी। सरकार राज्य में कृषि नीति भी तैयार कर रही है।
कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान में राज्य में करीब 38 लाख किसान हैं जिनमें से मात्र 18-19 लाख किसानों के पास ही केसीसी कार्ड है। अतः केसीसी से वंचित किसानों को जल्द से जल्द केसीसी से लिंक किया जाये। उन्होंने कहा कि परंपरागत केसीसी में पहली बार मेधा डेयरी फार्म से जुड़े किसानों को तीन लाख रूपये तथा अन्य को 1.6 लाख रूपये का लोन बिना गारंटी के बैंकों के द्वारा दिया जाना है जिसका कार्यान्वयन उपायुक्त बैंकों के साथ बैठक कर सुनिश्चित करें।
श्री पत्रलेख ने कहा कि 16 जिलों में कोल्ड स्टोरेज निर्माण का काम होना था लेकिन कई जिलों में अभी तक काम प्रारंभ भी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि पाकुड़ और सरायकेला में भी कोल्ड स्टोरेज का निर्माण किया जायेगा। सभी उपायुक्तों को निदेश दिया कि जिन जिलों में कोल्ड स्टोरेज का शिलान्यास नहीं हुआ वहां इसी महीने शिलान्यास कराने की तैयारी करें। कृषि मंत्री ने कहा कि सभी प्रखंडों में वेज फेड के आउटलेट खोले जायेंगे ताकि किसानों में अपनी सब्जी बेचने के लिये लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़े।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान पलामू उपायुक्त ने बताया कि 500 हेक्टेयर में पहली बार जिले में स्ट्राबरी की खेती की जा रही है अगर पलामू में इसका एक प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित हो जाता तो किसानों को फायदा होता। इस पर कृषि मंत्री ने कहा कि प्रस्ताव भेजा जाय जल्द ही प्रक्रिया पूर्ण कर काम शुरू कराया जायेगा। साथ ही जामताड़ा में काजू के प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित कराने की बात कही।
कृषि विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दिकी ने सभी उपायुक्तो को निदेश दिया कि बीज वितरण के दौरान यह सुनिश्चित किया जाये कि योग्य किसानों तक बीज पहुंचे साथ ही बैंकों के माध्यम से किसानों को लोन उपलब्ध कराया जाय। उन्होंने निदेश दिया कि सभी जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला कृषि पदाधिकरी और राष्ट्रीय बीज निगम के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर यह सुनिश्चित करें कि बीच का वितरण सही समय पर हो सके। वीडियो कांफ्रेंसिंग में विभाग के कई पदाधिकारी उपस्थित थे।