रांची : प्रदेश अध्यक्ष बनते ही पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी रेस हो गये हैं। हालिया ट्वीट से ये साफ जाहिर हो रहा है की उनकी सक्रियता अब बढ़ गई है। वैसे वे किसी न किसी मुद्दे पर ट्वीट करते रहते हैं। अब उनका एक नया ट्वीट वायरल हो रहा है, जहां बीजेपी कार्यालय घेरने गए आदिवासी संगठनों के लोगों को फर्जी बताया और जमीन दलाल की उपाधि भी दे दी।
रुबिका पहाड़िया, रूपा तिर्की सहित कई घटनाओं को बनाया मुद्दा
बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर बीते कुछ साल के कई घटनाओं को मुद्दा बनाया। उन्होंने ट्वीट कर सवालिया लहजे में लिखा कि मजाल है कि ये लोग रुबिका पहाड़िया की नृशंस हत्या पर किसी कार्यालय का घेराव करें ? मजाल है कि राजपरिवार के चमचे लोग दारोग़ा रूपा तिर्की की मौत के बाद भी उसकी इज़्ज़त पर कीचड़ उछालने वाले डीएसपी प्रमोद मिश्रा पर कार्रवाई के लिये आवाज़ उठाएं ?
चाईबासा में पांच-पांच आदिवासियों की हत्या पर इनके मुंह में दही जम गया था ? गौ-तस्करों ने एसआई संध्या तोपनो को इसी रांची के सिंह मोड़ में कुचलकर मार डाला, तब इनका आदिवासी प्रेम कहां शांत पड़ा था ?
मध्य प्रदेश में आदिवासियों को मिलता है इंसाफ
आज मध्य प्रदेश की जिस घटना को लेकर ये घेराव करने उतरे हैं, उसपर तो वहां की सरकार ने कार्रवाई भी की और पीड़ित को मुआवजा और सम्मान भी दिया। यहां तो आदिवासियों की रेप और हत्या के बाद इंसाफ तक नहीं मिलता।
मालिक के इशारे पर कर रहे हंगामा
बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन का बिना नाम लिए ट्वीट लिखा कि मालिक के इशारे पर हल्ला-हंगामा करने वाले फर्जी आदिवासियों को जनता पहचानती है। जमीन दलाल कब से आदिवासियों के हितैषी हो गए ?
बता दें कि बीते दिन आदिवासी संगठनों द्वारा यूसीसी और पेशाब कांड को लेकर बीजेपी कार्यालय का घेराव किया जाना था। हालांकि प्रशासन द्वारा उन्हें बैरिकेडिंग लगाकर पहले ही रोक दिया गया था। उस दौरान बाबूलाल मरांडी इस्तीफा दो अर्जुन मुंडा हाय हाय के नारे लगाए गए।
कैमरा के सामने कुछ भी बोलने से बचते नजर आये बाबूलाल
जब इस ट्वीट पर बाबूलाल से सवाल किया गया तो उन्होंने साफ लहजे में कहा कि इस मुद्दे को लेकर हमने कल ही कह दिया है। फर्जी आदिवासी वाले बयान पर कैमरा के सामने कुछ भी बोलने से बचते नजर आये।
पेशाब कांड की घटना को लेकर आदिवासियों में नाराजगी
हालांकि पेशाब कांड की घटना पूरे देश में एक नई बहस छेड़ दी है। इसको लेकर झारखंड के आदिवासियों में भी काफी नाराजगी देखी जा रही है। सड़क पर उतरकर जिस तरह आदिवासियों ने केंद्र सरकार और प्रदेश बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन किया है आने वाले 2024 के चुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है।