रांचीः भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी मंगलवार को हेमंत सोरेन सरकार पर जमकर बरसे। कहा कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने गुजरे तीन सालों में घोटालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। घोटाला करना, घोटालेबाजों को बचाना, घोटाले में हिस्सा लेना, दलाल माफ़ियाओं के सहारे पैसे कमाना ही इस सरकार का मुख्य काम रह गया है। श्री मरांडी हजारीबाग सर्किट हाउस में पत्रकारों से बात कर रहे थे.
श्री मरांडी ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर अगर 06 मई, 2021 को केंद्रीय जांच एजेंसी ED की कार्रवाई मनरेगा मामले में शुरू नहीं हुई होती, पूजा सिंघल समेत कई लोग पकड़े नहीं जाते, नोटों का भंडार नहीं पकड़ाता तो राज्य को हेमंत सोरेन आज घोटाले के मामले में कहाँ पहुँचा देते? इस बारे में एक छोटा सा संक्षिप्त जानकारी हम आपके समक्ष रख रहे हैं। हाइकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई मनरेगा घोटाले की जाँच आगे बढ़ी तो रोज़ एक नए घोटाले उजागर होने लगे और यह घोटाला उजागर होने का सिलसिला जिस तरह सामने आ रहा है उससे लगता है कि आगे और जाँच होगी तो न जाने और कितने नये घोटाले उजागर होंगे।
श्री मरांडी ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियां जो भी घोटाले पकड़ रही है उसके बारे में राज्य सरकार को लगातार सूचित कर वैसे मामलों में कार्रवाई का अनुरोध करती रही है जिन पर राज्य सरकार को अपने स्तर से भी कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन आश्चर्यजनक तरीक़े से ये घोटालेबाज़ों का सरगना मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केन्द्रीय एजेंसी की सप्रमाणिक सूचना पर कोई विधि सम्मत कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। उल्टे यह सरकार घोटालेबाज़ों को जेल से लेकर बाहर तक, मंहगे वकील रखकर राँची से लेकर दिल्ली तक मदद कर घोटाला पर पर्दा डालने और घोटालेबाज़ों को बचाने का अथक प्रयास कर रही है। ऐसा आख़िर क्यों? यह सवाल अब तो झारखंड के पढ़े लिखे युवा ही नहीं, गॉंव देहात के चौक चौराहे पर भी लोग पूछने लगे हैं। हेमंत सोरेन को इन सवालों का जवाब झारखंड की जनता को देना ही होगा।
श्री मरांडी ने कहा कि अब तक जो घोटाले पकड़े गए हैं, जिन घोटाले में हिस्सा लेकर यह सरकार घोटालेबाज़ों का न सिर्फ़ बचाव करती रही है बल्कि वैसे घोटालेबाज़ों के अनुभव का लाभ लेकर उनसे और बड़े घोटाले करवाती रही है, उन में 550 करोड़ का मनरेगा घोटाला, के अलावा 1500 करोड़ का उद्योगों के लिये आवंटित कोयला का घोटाला, 1500 करोड़ का अवैध खनन घोटाला, 3000 करोड़ का ग्रामीण विकास के लिए आवंटित फंड के दुरुपयोग का घोटाला, 3000 करोड़ से भी ज़्यादा का भूमि घोटाला, 800 करोड़ का टेंडर घोटाला, 100 करोड़ से भी ज़्यादा का ट्रांसफ़र/पोस्टिंग घोटाला और 1500 करोड़ का शराब घोटाला प्रमुख रूप से शामिल है। इस प्रकार 10000 करोड़ से अधिक का घोटाला इस सरकार में उजागर हुआ है। कोयला, बालू जैसे खनिज सम्पदा की महालूट में क्या क्या हुआ है? यह उजागर होना अभी बाक़ी है।
श्री मरांडी ने कहा कि अब तो खनन घोटाले की जांच में न्यायालय के आदेश से सीबीआई भी आ गई है। दिल थामकर आगे-आगे देखते जाईये। सोचिये, अगर न्यायालय ने ऐसे मामलों में कार्रवाई का आदेश नहीं दिया होता तो ये मुख्यमंत्री आगे और कितने घोटालों को अंजाम देते? एक छोटा सा उदाहरण आपके सामने रखकर बताना चाहता हूँ कि जब इंजीनियर विरेंद्र राम एवं उनसे जुड़े ठिकाने पर छापामारी हुई, वो पकड़े गये, उसके बाद झारखंड सरकार ने विरेंद्र राम के विभागों से जुड़े क़रीब 3 हज़ार करोड़ के छह सौ टेंडर जो निकाले जा चुके थे उसे रद्द कर दिया, लेकिन इसके आगे कोई कार्रवाई नहीं की। अगर गलती नहीं थी तो टेंडर क्यों रद्द किया गया? और अगर रद्द किया गया तो आगे राज्य सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों से लिखित जानकारी मिलने एवं कार्रवाई के लिये कहने के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं की गई? अगर विरेंद्र राम पकड़े नहीं जाते तो टेंडर रद्द नहीं होता, टेंडर रद्द नहीं होता तो इस 3000 करोड़ में से सीधे 15 परसेंट के हिसाब से 450 करोड़ रूपया सीधे दलालों, कुछ अफ़सरों और सत्ताधारियों के जेब में चला जाता, जिसे ईडी की कार्रवाई ने बचा लिया।
मनरेगा समेत और कई घोटालेबाजी में एक्सपर्ट पूजा सिंघल को मुख्यमंत्री ने उद्योग का कोयला घोटाला, बालू घोटाला कराने के लिए खान विभाग और JSMDC में बैठाया। उद्योग का कोल लिंकेज घोटाले में ईडी ने हज़ारीबाग़ के इज़हार अंसारी एवं उनके जुड़े ठिकाने पर छापामारी की, क़रीब 4 करोड़ नगद पकड़े। जांच में पता चला कि पूजा सिघल के सौजन्य से इस सरकार ने इज़हार के 13 कंपनियों को 38258 टन कोयला का आवंटन किया था। ये रियायती दर का कोयला उद्योग के लिये आवंटित था जिसे बनारस की मंडियों में बेच दिया गया। यह घोटाला ईडी की पकड़ में आया तो झारखंड सरकार ने ऐसे 142 संस्थान का कोयला आवंटन रद्द कर दिया। लेकिन इसके आगे कोई कार्रवाई नहीं की। अगर घोटाला नहीं हो रहा था तो रद्द क्यों किया ? और अगर केंद्रीय एजेंसियों के पकड़ में आने के बाद रद्द किया तो आगे कार्रवाई क्यों नहीं की? मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी इस बारे में अपने मुँह से कब बताईयेगा? ट्रांसफ़र-पोस्टिंग का गोरखधंधा कैसे चलता था और चलता है? इसका एक छोटा सा नमूना राजीव अरुण एक्का और विशाल चौधरी कथा के सप्रमाण खुलासे से हुआ है। देख सुनकर एक नज़र में तो विश्वास ही नहीं होता कि कोई सरकार आख़िर इतनी बेशर्मी से ये सब कैसे कर सकती है? मौके पर सांसद जयंत सिन्हा, प्रदेश मीडिया सह प्रभारी योगेंद्र प्रताप सिंह, विधायक मनीष जयसवाल, जिलाध्यक्ष अशोक यादव भी उपस्थित थे।
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