नई दिल्ली : पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक दवा विज्ञापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में अब कंपनी ने अपनी गलती के लिए माफी मांगी है. पतंजलि आयुर्वेद और उसके एमडी आचार्य बालकृष्ण ने भ्रामक और भ्रामक दवा विज्ञापन देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी है.
इस माफीनामे में विज्ञापन को दोबारा प्रसारित न करने का वादा भी किया गया है. आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि कंपनी के मीडिया विभाग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं थी. उनका कहना है कि इसका उद्देश्य नागरिकों को पतंजलि उत्पादों का सेवन करके स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना था.
सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को पेश होने का आदेश दिया था
पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक दवा विज्ञापन मामले में कोर्ट ने 2 अप्रैल को स्वामी रामदेव (पतंजलि के सह-संस्थापक) और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में पेश होने को कहा है. कंपनी और आचार्य बालकृष्ण ने नोटिस का जवाब दाखिल नहीं किया, जिसके चलते यह आदेश जारी किया गया.
अब अगली तारीख पर उन्हें कोर्ट में पेश होना पड़ सकता है. 19 मार्च को हुई सुनवाई में कोर्ट ने नोटिस जारी किया था और यह भी पूछा था कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए. इस मामले की सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच कर रही है. इससे पहले इस मामले की सुनवाई 27 फरवरी को हुई थी.
27 फरवरी को हुई सुनवाई में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक दवा विज्ञापनों पर रोक लगा दी थी. इसके अलावा अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. दरअसल, कोर्ट ने पिछले साल भ्रामक विज्ञापन न जारी करने के निर्देश दिए थे, लेकिन कंपनी ने इसे नजरअंदाज कर दिया.
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