इस बार दीपावली पर ग्रहों का उत्तम योग बन रहा है। इस दीपावली गुरु, शुक्र और शनि का दुर्लभ संयोग बन रहा है। दिवाली पर गुरु अपनी राशि धनु में, शनि अपनी राशि मकर में और शुक्र कन्या राशि में नीचे का रहेगा जिससे इस बार दीपावली में उत्तम योग बन रहे है। प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि गुरु की स्थिति अच्छी होने कारण लोगों की धन और आय में वृद्धि होगी।
14.11.2020
चतुर्दशी -अमावस्या तिथि शनिवार ,दीपावली , महालक्ष्मी, इंद्र ,कुबेर ,पूजा अर्धरात्रि मे महाकाली पूजा सर्वार्थ सिद्धि योग
दीपावली पूजन-
अभिजित-11:35 से 12:25
दोपहर दिन में 12:46 से 2: 14 मिनट तक कुंभ लग्न
शाम को 5:20 के बाद 7:14 तक वृष लग्न
गोधुली बेला :-
रात्रि 7:15 मिनट से रात्रि 9:25 तक मिथुन लग्न द्विस्वभाव लग्न है ऐ भी अच्छा होता है
रात्रि 11:46 मिनट के बाद 2:00 मिनट तक सिंह लग्न है।
राहुकाल – सुबह – 0 9 :15 से 10 :39 तक -आग्यास्त्र का पूजन का सबसे अच्छा मुहूर्त है।
तुला लग्न प्रातः 4:32 से 6:47 तक
वृश्चिक 6.47 से 9.04
धनु:—-9.05से 11.10
मकर:–11.11से 12.57
कुंभ:—12.57से 2.14
मीन:—-2.14 से 3.56
मेष:—–3.56से 5.20
वृष:—–5.20 से 7.14
मिथुन:–7.14 से 9.25
कर्क:—-9.25से 11 :46
सिंह:—-11.46 से 2:00
महानिशीथ काल :11:39 मिनट से 1:19 तक है।
शुभ चौघड़िया मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त्त : लाभ, अमृत काल – : 02:20 मिनट से 04:07 मिनट तक सायंकाल मुहूर्त्त- लाभ काल : 05:27 मिनट से 07 : 07 मिनट तक रात्रि मुहूर्त्त- शुभ, अमृत और चल काल :08:46 मिनट से 12:45 मिनट तक उषाकाल मुहूर्त्त : – लाभ काल 05:04 से 06 :44 मिनट तक देवी लक्ष्मी की आराधना प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में करना सर्वोत्तम माना गया है। इस दौरान जब वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि लग्न में हो तब माता लक्ष्मी का पूजन किया जाना चाहिए। क्योंकि ये चारों राशि स्थिर स्वभाव की होती हैं। अगर स्थिर लग्न के समय पूजा की जाये तो माता लक्ष्मी अंश रूप में घर में ठहर जाती है।।
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम अरगोड़ा राँची