नई दिल्ली : AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. दायर याचिका में सीएए कानून पर रोक लगाने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट 19 मार्च को CAA के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. बताते चलें कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने भी सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में असदुद्दीन ओवैसी ने मांग की है कि सीएए कानून के तहत सरकार किसी को भी नागरिकता संशोधन कानून की धारा 6बी के तहत नागरिकता प्रदान न करे. सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं में सीएए कानून को संविधान के खिलाफ और भेदभावपूर्ण बताया गया है.

असदुद्दीन औवेसी का कहना है कि CAA और NRC का आपस में जुड़ाव खतरनाक है. इसके जरिए भारतीय मुसलमानों को निशाना बनाने की योजना बनाई जा रही है. याचिका में कहा गया है कि CAA का मकसद केवल नागरिकता प्रदान करने को कम करने वाले प्रावधानों में से एक नहीं है बल्कि यह बहुत स्पष्ट रूप से किसी अल्पसंख्यक समुदाय को अलग- थलग करने और नागरिकता से इनकार कर उनके विरुद्ध कार्रवाई करना है!

क्यों हो रहा है सीएए का विरोध

नागरिकता संशोधन कानून 2019 के तहत सरकार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. इस कानून के तहत हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है, लेकिन इस कानून से मुस्लिम वर्ग को बाहर रखा गया है. इसी वजह से इस कानून का विरोध हो रहा है. कानून का विरोध करने वाले लोगों का आरोप है कि इसमें धर्म के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है, जो कि भारतीय संविधान के खिलाफ है. हालांकि सरकार का तर्क है कि सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है और सरकार ने साफ कहा है कि सीएए कानून वापस नहीं होगा.

सीएए के खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर हैं 200 से ज्यादा याचिकाएं

शीर्ष अदालत में नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ 200 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई हैं. सीएए कानून को साल 2019 में ही संसद से मंजूरी मिली थी और उसके बाद से ही इस कानून का विरोध हो रहा है.

इसे भी पढ़ें: पटना से आरा तक बालू मामले में ईडी की छापेमारी, झारखंड से भी जुड़ा है तार

Share.
Exit mobile version