Joharlive Team
रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि कला-संस्कृति का बंधन व्यक्ति को इंसान बनाता है, लोगों को बेहतर से बेहतरीन बनने की दिशा देता है।
श्रीमती मुर्मू ने बुधवार को यहां इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के दीक्षांत समारोह में कहा कि जब लोग अपने सर्वोत्तम का साझा करते हैं तभी उसका विस्तार होता है। विस्तार ही विकास है-इसी विकास को गति देना समय की मांग हैं। कला, संस्कृतिक एवं शिल्प युवाओं के भविष्य के साथी हैं।
राज्यपाल ने कहा है कि जहां तक देश की कला-संस्कृति की बात है, इसका गौरवमयी इतिहास रहा है। हमारे देश में विविध संस्कृतियां हैं। कला एवं संस्कृति हमारी पहचान है, हमारी आत्मा है। इस समृद्ध विरासत को बचा कर रखना है, ताकि सारे विश्व में भारतीय संस्कृति का परचम सदा यूं ही लहराता रहे। इस प्रकार के आयोजन से लोगों में कला के प्रति और प्रेम-भाव बढ़ता है।
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि लोग प्रायः सुनते हैं कि राज्य के कलाकारों को अन्य राष्ट्रों के द्वारा भी कला का प्रदर्शन करने के लिए बड़े ही सम्मान से आमंत्रित किया जाता है। संगीत, गायन एवं नृत्य विधाओं की दृष्टि से भारत की सांस्कृतिक विरासत अत्यंत समृद्ध रही है। संगीत एवं लोक नृत्य हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की पहचान है। यह हमारे देश की साझी संस्कृति का अनुपम उदाहरण है।
राज्यपाल ने कहा कि जहां तक झारखंड की बात है, तो राज्य के लोगों के कण-कण में कला एवं खेल प्रेम देखा जा सकता है। झारखण्ड में संगीत एवं नृत्य की गौरवशाली एवं समृद्ध परंपरा हमेशा से है। नृत्य एवं संगीत इस राज्य की पहचान है, इसकी आत्मा में बसी है। इस राज्य के घर-घर में प्रत्येक व्यक्ति में यह रचा बसा है।
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि वह शिक्षण संस्थानों का निरंतर भ्रमण किया करती है ,उन्होंने गौर से देखा है कि छोटे-छोटे बच्चों में भी कला, संस्कृति, खेल के क्षेत्र में असीम प्रतिभा निहित है। वे पढ़ाई के साथ-साथ इस क्षेत्र में भी अच्छा कर रहे हैं। अपने प्रदर्शन से सबका मन मोह लेते हैं।