सियोल: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. यह वारंट सियोल वेस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट द्वारा जारी किया गया, जिसमें उनके दफ्तर की तलाशी लेने और उन्हें हिरासत में लेने की अनुमति दी गई है. देश की एंटी करप्शन एजेंसी ने यह जानकारी दी.
इस वारंट का संबंध इस महीने की शुरुआत में लागू किए गए शॉर्ट टर्म मार्शल लॉ से है. एजेंसी के मुताबिक, यह जांच की जा रही है कि राष्ट्रपति द्वारा लागू किया गया यह कानून विद्रोह के समान था या नहीं. दक्षिण कोरियाई कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने तीन दिसंबर को लगाए गए इस मार्शल लॉ को लेकर सोमवार को कोर्ट में वारंट जारी करने का अनुरोध किया था. राष्ट्रपति यून सुक येओल के खिलाफ 14 दिसंबर को नेशनल असेंबली में महाभियोग प्रस्ताव पारित किया गया था. इसके बाद राष्ट्रपति के तौर पर उनकी शक्तियां निलंबित कर दी गईं. अब संवैधानिक कोर्ट यह तय करेगी कि उन्हें पद से हटाया जाए या उनकी शक्तियां बहाल की जाएं.
यून के वकील यून कैप-क्यून ने कोर्ट द्वारा जारी वारंट को अवैध करार दिया है. उन्होंने इस फैसले को चुनौती देने के लिए सियोल वेस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में याचिका दायर की है. वकील ने दलील दी है कि यह वारंट पूरी तरह से कानून के खिलाफ है. यून सुक येओल पहले ही ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन टीम के कई अनुरोधों को नजरअंदाज कर चुके हैं. उन्होंने अपने कार्यालयों की तलाशी प्रक्रिया में भी बाधा डाली. इसके बाद कोर्ट से वारंट जारी करने की मांग की गई. पुलिस और सेना के अधिकारियों की संयुक्त टीम राष्ट्रपति यून के खिलाफ इस मामले की जांच कर रही है.