Joharlive Desk

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोयला खदानों की नीलामी के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार से जवाब तलब किया।

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की खंडपीठ ने राज्य सरकार की एक रिट याचिका और एक मूल वाद (ऑरिजिनल सूट) की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा।

राज्य सरकार ने दलील दी कि केंद्र सरकार ने बगैर किसी सलाह-मशविरे के ही एकपक्षीय निर्णय लेकर कोयला ब्लॉकों की नीलामी की है, जो अनुचित है।

गौरतलब है कि कोयला ब्लॉकों के वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार ने 18 जून को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। इसके बाद पिछले दिनों राज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत भी मूल वाद दायर कर दिया। केंद्र के साथ विवाद होने पर राज्य सरकार इसी अनुच्छेद के तहत सीधे शीर्ष अदालत में मामला दायर करती है।

वकील तपेश कुमार सिंह की ओर से दायर रिट याचिका में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने कहा है कि क्या यह जरूरी नहीं था कि पहले से बंद पड़े उद्योग-धंधों की जरूरतों का आकलन कर लिया जाता। याचिका में कहा गया है कि राज्य में हमेशा खनन एक ज्वलंत विषय रहा है। इसे लेकर अब नयी प्रक्रिया अपनायी जा रही है। उसके फिर पुरानी व्यवस्था में जाने की आशंका है, जिससे देश बाहर आया था।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि नीलामी प्रक्रिया को कानूनी तौर पर वैध नहीं कहा जा सकता, क्योंकि खनिज कानून संशोधन कानून, 2020 गत 14 मई को समाप्त हो गया, जिसके बाद कानूनी रिक्तता आ गयी है। झारखंड सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार ने उससे परामर्श के बगैर ही राज्य की कोयला खदानों की नीलामी की एकतरफा घोषणा की है।

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