JoharLive Desk
दिल्ली। अभिनेता अनिल कपूर फिल्म इंडस्ट्री में अपनी हैसियत को लेकर सहज रहना नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि उनकी योजना सरल है, जो कल से बेहतर होगी। अनिल ने आईएएनएस से कहा “मैं कभी भी शालीनता के डर से पूरी तरह से सहज नहीं होना चाहता हूं और यह केवल तब होता है जब आप खुद को असहज परिस्थितियों में डालते हैं, जिससे आप बढ़ते हैं और सीखते हैं।“
अनिल ने 1979 में आई फिल्म ’हमारे-तुम्हारे’ में एक छोटे से किरदार से शुरुआत की थी और तब से अब तक वह खुद को कई बार साबित कर चुके हैं। ’वो 7 दिन’, ’1942 : अ लव स्टोरी’, ’मिस्टर इंडिया’, ’तेजाब’, ’राम लखन’, ’लम्हे’, ’बेटा’, ’ताल’, ’नायक : द रियल हीरो’, और ’पुकार’ जैसी यादगार फिल्मों में उनके अभिनय का लोहा हर कोई मानता है।
उनकी बहुमुखी प्रतिभा इस तथ्य से साबित होती है कि वह जहां एक ओर अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर उनकी बॉलीवुड में कमाल की फिल्में जैसे ’नो एंट्री’, ’वेलकम’, ’रेस’, ’दिल धड़कने दो’, ’मुबारकां’, ’फन्ने खान’, ’एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ और ’टोटल धमाल’ आ रही थी।
समय के साथ आपके लक्ष्य बदलते हैं, इसके जवाब में हाल ही में कोलकाता में रॉयल स्टैग बैरल सिलेक्ट लार्ज शॉर्ट फिल्म्स द्वारा एक पैनल चर्चा का हिस्सा बने अभिनेता ने कहा, “काफी अजीब है, मेरे लक्ष्य अभी तक बिल्कुल भी नहीं बदले हैं। मैं एक सरल योजना के साथ वाला साधारण आदमी हूं और इसलिए मैं यही प्रयास करता रहूंगा।