आचार्य प्रणव मिश्राभाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है और पूजा के बाद 14 गाठ वाली अनंत सूत्र बांधा जाता है।भाद्रपद माह की अनंत चतुर्थी 9 सितंबर शुक्रवार को किया जाएगा। साथ ही इसी दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है।
अनंत सूत्र के 14 गाठें :
14 गांठें भगवान श्री हरि के 14 लोकों का प्रतीकइस व्रत में सूत या रेशम के धागे को कुमकुम से रंगकर उसमें चौदह गांठें लगाई जाती हैं। इसके बाद उसे विधि-विधान से पूजा के अपने बाजू में बांधा जाता है। भगवान विष्णु का रूप माने जाने वाले इस धागे को अनंत सूत्र और रक्षा सूत्र कहा जाता है। ये 14 गांठें भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला और अनंत फल देने वाला माना गया है।
शुभ संयोग :
अनंत चतुर्थी को सुकर्मा और रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा के अनुसार सुकर्मा योग में किए गए सभी कार्यों का शुभ फल प्राप्त होता है साथ ही रवि योग में की गई पूजा से भक्तों को पापों से मुक्ति मिलती है। इस योग में श्री हरि की पूजा विशेष फलदायी होती है।
अनंत चतुर्थी की महिमा :
इस व्रत को 14 सालों तक लगातार करने पर विष्णु लोक (बैकुंठ धाम) की प्राप्ति होती है। इस व्रत में नमक का सेवन नहीं किया जाता है। व्रत के पारायण में मीठी चीजें, जैसे मालपुआ या खीर खाने का विधान है। इस दिन गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करने से जीवन की सभी विपत्तियों से मुक्ति मिलती है। जो लोग अनंत सूत्र को अपनी हांथ पर बांधते हैं, उन्हें सुख संवृद्धि के साथ साथ सौभाग्य एवं ऐश्वर्य की भी प्राप्ति होती है।अनंत चतुर्थी की पौराणिक कथा :सनातन धर्म में अनंत चतुर्दशी का बहुत महत्व है। जब पाण्डव, धृत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी।
धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्त सूत्र धारण किया। अनन्त चतुर्दशी व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए। इसीलिए माना जाता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धापूर्वक अनंत चतुर्दशी का व्रत करता है, वह सारे संकटों से मुक्ति पा लेता है।
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा, राँची
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