Joharlive Team
रांची : चंद्रवंशी (कहार) जाति को सीएनटी एक्ट से बाहर करने और सीएनटी प्रभावित जातियों को लोन का अधिकार की मांग को लेकर सीएनटी प्रभावित चंद्रवंशी मोर्चा का एक आठ सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने महामहिम राज्यपाल महोदया को ज्ञापन सौंपा है। प्रतिनिधि मंडल में सीएनटी मोर्चा के प्रदेश संयोजक नितेश चंद्रवंशी, प्रदेश सचिव रंजीत चंद्रवंशी, प्रदेश सह सचिव पप्पू चंद्रवंशी, डाल्टनगंज से सुधीर चंद्रवंशी, रांची से अमरनाथ चंद्रवंशी एवं झारखंड रत्न से सम्मानित गनौरी राम चंद्रवंशी, आशीष चंद्रवंशी तथा हजारीबाग से महेश चंद्रवंशी शामिल थे। ज्ञापन के माध्यम से कहा गया है कि सीएनटी सख्ती से लागू होने के बाद से चंद्रवंशी ( कहार ) जाती इस एक्ट में उलझ कर रह गया है। आर्थिक विकाश रुक गया है। चंद्रवंशी जाती समेत पिछड़ी दलित जातियों को लोन लेने का पूर्ण अधिकार नहीं है। यह कानून आजाद भारत मे आर्थिक गुलामी की ओर धकेल रहा है। चंद्रवंशी जाती इस एक्ट से बाहर होना चाहता है। उक्त बातों को लेकर महामहिम राज्यपाल महोदया द्रौपदी मुर्मू ने मोर्चा के सदस्यों को पूर्ण आश्वासन दिया की व्यक्तिगत रूप से चंद्रवंशी जाति के समस्या को स्वयं सरकार के पास रखेंगी, और आश्वस्त किया है कि वे इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करेंगी।
लंबे समय से चंद्रवंशी प्रभावित मोर्चा के बैनर तले पूरे झारखंड राज्य में आंदोलन चलाया जा रहा
मालूम हो कि लंबे समय से चंद्रवंशी प्रभावित मोर्चा के बैनर तले पूरे झारखंड राज्य में आंदोलन चलाया जा रहा है। इसी क्रम में आवास बोर्ड के चेयरमैन सह बरकट्ठा विधायक जानकी यादव ने विधान सभा सदन में भी तारांकित प्रश्न के माध्यम से चंद्रवंशियों समेत पिछड़ी जाति के समस्या को जोरदार तरीके से विधानसभा सदन में उठाया था। सवाल उठाये जाने के बाद सरकार ने जवाब भी सौंपा।सरकार ने स्वीकार किया है कि चंद्रवंशी जाति द्वारा लगातार एक्ट के दायरे से बाहर होने को लेकर विरोध प्रदर्शन होता रहा है। यह भी स्वीकार किया है कि सीएनटी एक्ट 1908 के कारण चंद्रवंशी समाज के लोगों को बैंक लोन नहीं दी जाती है।
एकीकृत बिहार राज्य की 51 पिछड़ी जातियों और अनुसूचित जातियों को शामिल किया गया
सन 1908 में अंग्रेजों ने सीएनटी कानून बनाया। 1962 में एकीकृत बिहार राज्य की 51 पिछड़ी जातियों और अनुसूचित जातियों को शामिल किया गया। इसमें चंद्रवंशी (कहार) जाति भी शामिल है। मौके पर उपस्थित लोगों ने बताया कि चंद्रवंशी जाति सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक रूप से सबल है। फिर भी इस जाति को अपने ही जमीन की खरीद – बिक्री करने का पूर्ण अधिकार नहीं है। अपने ही संपत्ति की खरीद बिक्री के लिए उपायुक्त का आदेश लेना और आदेश हेतु महीनों उपायुक्त कार्यालय का चक्कर लगाना अनुचित है। सीएनटी के अंतर्गत आने वाली राज्य की 51 पिछड़ी जातियों को लोन लेने का अधिकार नहीं है। कानून के प्रावधानों के कारण चंद्रवंशी समेत 51 पिछड़ी जाति बैंकों के समक्ष अपनी जमीन को सिर्फ 05 वर्ष तक ही गिरवी रख सकते हैं। जमीन गिरवी रखने की समय सीमा सिर्फ 05 वर्ष होने के कारण बैंक उपरोक्त जातियों को जमीन गिरवी रखकर हाउस लोन व अन्य लोन प्रदान नहीं करती है। सीधे शब्दों में कहें तो हमें अपनी जमीन को गिरवी रखकर बैंक से लोन प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। यह सीधे – सीधे आर्थिक समानता के अधिकार को बाधित करती है। यह हमारी आर्थिक संपन्नता के सपनों को पूरा न करने में एक बड़ा षड्यंत्र है। यह हमारे ऊपर आर्थिक अत्याचार है। हमे अपनी जमीन खरीदने बेचने का पूर्ण अधिकार नहीं है, और ना ही इस जमीन पर लोन का लेने अधिकार है।