रांची : लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजधानी रांची समेत राज्य के अन्य जिलों में भाजपा के स्टार प्रचारकों का आना जाना लगा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत दर्जनों लोगों का नाम इस सूची में शमिल है. इसी क्रम में बीते शाम शुक्रवार को गृहमंत्री अमित शाह के रोड शो प्रोग्राम में सुरक्षा में सेंधमारी देखने को मिली. यह सेंधमारी किसी और ने नहीं, बल्कि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने खुद की. भाजपा कार्यकर्ताओं में इतनी समझ नहीं थी कि गृहमंत्री अमित शाह के रोड शो प्रोग्राम को समझ सके. उनके सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए अमित शाह की गाड़ी तक कार्यकर्ता आराम से पहुंच रहे थे. जिन कार्यकर्ताओं को बैरिकेटिंग के अंदर रहना था, वो भी बीच सड़क पर भाजपा का झंडा लेकर नारेबाजी करते दिखे. इतनी बड़ी लापरवाही आखिरकार किसकी?  क्या यह कार्यकर्ताओं की भीड़ झारखंड भाजपा के अधिकरियों से बाहर है? या फिर रांची पुलिस की लापरवाही, जो इतनी भारी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ताओं को सड़कों पर प्रवेश करने दिया.

मामले को लेकर क्या बोले रांची एसएसपी

रांची के एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने कहा कि सीआरपीएफ के सुरक्षाधिकारी के आदेशानुसार भाजपा के कार्यकर्ताओं की पहले स्क्रीनिंग हुई है. फिर उन्हें रोड शो प्रोग्राम में आगे-आगे जाने दिया गया है. ऐसी कोई सूचना सामने नहीं आयी है, जिसमें अज्ञात लोग गृहमंत्री अमित शाह के काफिले के साथ-साथ चलते देखे गए है. रांची पुलिस सुरक्षा को लेकर मुस्तैद थी. सुरक्षा को लेकर गृहमंत्री के सुरक्षाधिकारी का जैसा दिशा-निर्देश प्राप्त हुआ था, वैसा व्यवस्था किया गया था.

थोड़ी सी चूक होने पर क्या रहती झारखंड की इज्जत

लोकसभा चुनाव को लेकर हर कार्यकर्ताओं में जोश भरा है. जोश इस प्रकार है कि गृहमंत्री के पद को समझ नहीं पा रहे है. रोड शो प्रोग्राम में भाजपा के कार्यकर्ताओं का व्यवहार जिस तरह से देखा जा रहा है, वो हैरतअंगेज करने वाला है. शुक्रवार को गृहमंत्री अमित शाह के रोड शो प्रोग्राम में थोड़ी सी चूक झारखंड को बदनामी के अलावा कुछ नहीं मिलने वाली थी. भाजपा के वरिष्ट अधिकारियों को इन सब मामलो में ध्यान देने की जरुरत थी.

भाजपा के मात्र 16 सदस्यों की तैयार हुई थी सूची

भाजपा के एक पदाधिकारी का कहना है कि बीते शुक्रवार को गृहमंत्री अमित शाह के रोड शो प्रोग्राम में मात्र 16 सदस्यों की सूची बनी थी. इसमें सभी सदस्यों का आधार कार्ड जमा भी हुआ था. लेकिन, अचानक इतने लोगों की संख्या किसकी इजाजत से बीच सड़कों में प्रवेश की यह एक सवाल झारखंड भाजपा के अधिकरियों पर खड़ा करता है.

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